इस बार खासा चर्चित रहा राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र
राजस्थान विधानसभा में मौजूदा सरकार का पहला बजट सत्र खासा चर्चित हुआ। इस बार कई नए काम और परम्पराएं सदन में देखी गई।
जयपुर, मनीष गोधा। राजस्थान विधानसभा में मौजूदा सरकार का पहला बजट सत्र खासा चर्चित हुआ। इस बार कई नए काम और परम्पराएं सदन में देखी गई। पहली बार सदन की पूरी कार्यवाही का यूटयूब पर जीवंत प्रसारण हुआ, वहीं प्रश्नकाल में भी औसतन दस से बारह प्रश्नों पर चर्चा हुई। स्पीकर सी.पी.जोशी की सख्ती से विपक्ष ही नही सत्ता पक्ष भी काफी परेशान दिखा।
राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र 27 जून से शुरू हुआ था और पहले दिन से ही स्पीकर सी.पी.जोशी की सख्ती चर्चा में आ गईथी। विधानसभा की कार्यवाही कवर करने वाले मीडिया के प्रवेश पत्रों में भारी कटौती कर दी गई और इसके साथ् ही मंत्रियों और विधायको के साथ आने वाले लोागों के पास भी कम कर दिए गए। इसके चलते पहले दिन से ही स्पीकर का मीडिया और विधायको व मंत्रियों से टकराव शुरू हो गया।
पूरे सत्र के दौरान स्पीकर ने इस मामले में पूरी सख्ती बनाए रखी। इसके चलते इस बार विधानसभा में भीड-भाड काफी कम दिखी।
सदन में भी स्पीकर ने विभिन्न विषयों पर चर्चा के मामले मे काफी सख्ती बनाए रखी। इसके चलते एक बार तो सीधे स्पीकर और संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के बीच तकरार हो गई और स्पीकर सदन की कार्यवाही स्थगित कर बाहर आ गए। स्पीकर ने चर्चा को सम्बन्धित विषय पर बनाए रखने पर जोर दिया और इसके चलते विपक्ष के सदस्यों से तो कई बार स्पीकर का टकराव होता दिखाई दिया। उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड से तो कई बार स्पीकर की गर्मागर्म बहस हुई। प्रश्नकाल में की गई व्यवस्थाओं और खुल कर नहीं बोलने देने से नाराज विपक्ष ने तीन चार दिन तक अलग-अलग तरह से प्रश्नकाल का बहिष्कार किया। बाद में स्पीकर ने अपनी व्यवस्था में थोडी रियायत दी।
कुछ अहम विधेयक भी हुए पारित- सरकार की दृष्टि से भी यह सत्र अहम रहा। इस बार सरकार ने पांच अहम कानून पारित कराए। इनमें विश्वविदयालयों के कुलतियों को हटाने का अधिकार सरकार को दिए जाने, मंत्री पद से हटने के बाद सरकारी बंगला खाली नहीं करने पर दस हजार रूपए प्रतिदिन का जुर्माना लगाए जाने, प्रदेश में हुक्का बारों पर रोक, उन्मादी भीड की हिंसा पर रोक तथा आॅनर किलिंग पर रोक से जुडे विधेयक शामिल है।
ये नए काम होते दिखे विधानसभा में
- सदन की पूरी कार्यवाही का जीवंत प्रसारण यूटयूब पर किया गया।
- विधानसभा की सुरक्षा को देखते हुए दर्शक दीर्घा, मंत्रियों और विधायकों के समर्थकों तथा मीडिया के प्रवेश पत्रों में भारी कटौती की गई। इसके चलते मीडिया ने कई दिन तक किया प्रेस गैलेरी का बहिष्कार
- सत्र प्रारम्भ होने से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई गई।
- प्रश्नकाल में मूल प्रश्नकर्ता को ही पूरक प्रश्न पूछने की अनुमति देने की व्यवस्था लागू की गई। इसके चलते औसतन 10 से 12 प्रश्नों पर प्रतिदिन चर्चा हो पाई।
- प्रश्नकाल में प्रश्न से अलावा किसी भी तरह की चर्चा या भाषण पर रोक
- विधायकों के प्रश्न ही नहीं विभागों के प्रतिवेदन अदि भी आॅनलाइन उपलब्ध कराए गए और कागज की बचत की गई।
- किसी भी विधेयक को सदन मेें रखने के सात दिन बाद ही उस पर चर्चा, ताकि विधायक बेहतर ढंग से तैयारी कर सके।
- मंत्रियों के लिए शून्यकाल की समाप्ति तक सदन में ही मौजूद रहने की अनिवार्यता।
- नए विधायकों के लिए एक दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम।
- कई प्रश्नों और मुददों पर खुद स्पीकर ने सरकार के दिए निर्देश।
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