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Rajasthan : ग्रामीण बच्चों को डिजिटल शिक्षा दे रहे बीएसएफ के जवान

जवानों का कहना है बच्चों को शिक्षा देकर उन्हे बेहद संतुष्टि मिलती है। सीमा पर देश की रक्षा करने वाले सीमा सुरक्षा बल के जवान सीमावर्ती गांवों में बच्चों को शिक्षा भी दे रहे हैं। जवानों की इस पहल से बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी बेहद खुश हैं ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 11:20 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 11:20 AM (IST)
Rajasthan : ग्रामीण बच्चों को डिजिटल शिक्षा दे रहे बीएसएफ के जवान
बच्चों को डिजिटल शिक्षा दे रहे बीएसएफ के जवान

जयपुर, जागरण संवाददाता। सीमा पर देश की रक्षा करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएएफ) के जवान सीमावर्ती गांवों में बच्चों को शिक्षा भी दे रहे हैं। पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के खाजूवाला बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ की 127वीं बटालियन के जवान गांवों में बच्चों को अपने खर्चे से डिजिटल एजुकेशन दे रहे हैं। इन जवानों ने अपने खर्चे पर कम्प्यूटर खरीदे हैं। ये बच्चों को पढ़ाने के साथ ही कम्प्यूटर चलाना भी सीखा रहे हैं । बीकानेर स्थित बीएसएफ के क्षेत्रीय मुख्यालय के डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ के निर्देशन में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।

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बीएसएफ की 127वीं बटालियन के इस नवाचार से गांवों के बच्चे बेहद खुश हैं। जिन बच्चों ने कभी कम्प्यूटर नहीं देखा था वे अब डिजिटल शिक्षा में पारंगत हो रहे हैं। दूर-दराज के गांवों में रहने वाले कई बच्चे तो जवानों की मेहनत के चलते कम्प्यूटर चलाने के साथ ही डिजिटल एजुकेशन के अन्य साधनों का भी उपयोग करने लगे हैं।

जवानों का कहना है कि बच्चों को शिक्षा देकर उन्हे बेहद संतुष्टि मिलती है। सीमा पर देश की रक्षा करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएएफ) के जवान सीमावर्ती गांवों में बच्चों को शिक्षा भी दे रहे हैं। पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के खाजूवाला बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ की 127वीं बटालियन के जवान गांवों में बच्चों को अपने खर्चे से डिजिटल एजुकेशन दे रहे हैं। सीमा से सटे 34 केवाईडी, 40 केवाईडी सहित कई गांवों व छोटी ढ़ाणियों में जहां बच्चों को पढ़ने के लिए भी काफी दूर जाना होता है। वहां अब उन्हे डिजिटल एजुकेशन मिल रही है। कोरोना महामारी के कारण पिछले 8 माह से स्कूल बंद है। ऐसे में जवान बच्चों को गणित, अंग्रेजी और हिंदी की कोचिंग भी देते हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल बंद रहने से एक बार तो यह लगने लगा था कि शिक्षा के लिहाज से बच्चों का यह साल खराब रहेगा,लेकिन जवानों ने ऐसा नहीं होने दिया। वे बच्चों को नियमित रूप से पढ़ा रहे हैं। जवानों की इस पहल से बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी बेहद खुश हैं । 


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