Move to Jagran APP

Rajasthan: एम्स जोधपुर में पैर में कैंसर की गांठ का ब्रेकीथेरेपी कैथेटर तकनीक से हुआ ऑपरेशन, रेडियोथेरेपी से पैर को बचाया

Rajasthan एम्स जोधपुर के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा ने बताया कि जोधपुर की भोपालगढ़ क्षेत्र की एक बीस वर्षीय युवती के दाएं पैर में घुटने के नीचे काफी बड़ी कैंसर की गांठ थी जो फिबुला बोन व आसपास के टिश्यूज में फैल गई थी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 04:16 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 04:16 PM (IST)
Rajasthan: एम्स जोधपुर में पैर में कैंसर की गांठ का ब्रेकीथेरेपी कैथेटर तकनीक से हुआ ऑपरेशन, रेडियोथेरेपी से पैर को बचाया
एम्स जोधपुर में पैर में कैंसर की गांठ का ब्रेकीथेरेपी कैथेटर तकनीक से हुआ ऑपरेशन। फाइल फोटो

जोधपुर, संवाद सूत्र। Rajasthan: एम्स जोधपुर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी व रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग ने ब्रेकीथेरेपी कैथेटर तकनीक से कैंसर की गांठ को सर्जरी से निकाला और आंतरिक रेडियोथेरेपी देकर पैर को बचाया, ताकि मरीज का पैर कटने से बच गया। एम्स जोधपुर के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा ने बताया कि जोधपुर की भोपालगढ़ क्षेत्र की एक बीस वर्षीय युवती के दाएं पैर में घुटने के नीचे काफी बड़ी कैंसर की गांठ थी, जो फिबुला बोन व आसपास के टिश्यूज में फैल गई थी। ये गांठ पैर के दो तिहाई हिस्से को करीब 20 सेंटीमीटर तक घेरे हुए थी। ये पैर के कुछ खून व तंत्रिका नसों से भी चिपकी हुई थी। चिकित्सकीय परामर्श पर ज्ञात हुआ कि इससे पहले भी मरीज का एक बार कहीं अन्य इसी गांठ का ऑपरेशन हो चुका था, लेकिन इसके बाद भी ये गांठ वापस बन गई थी।

loksabha election banner

मिश्रा के अनुसार, दोबारा उसी जगह ऑपरेशन कर कैंसर को पूरी तरह से निकालना तो महत्वपूर्ण था ही, पूरे पैर को बचाना भी चुनौतीपूर्ण था। बायोप्सी में कैंसर की गांठ कोंड्रोसार्कोमा नामक कैंसर बीमारी निकली। मरीज को सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सह आचार्य डॉ जीवन राम विश्नोई की देखरेख में भर्ती किया गया। मरीज के इलाज का प्लान संस्थान निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के दिशानिर्देश में डॉ जीवन राम विश्नोई, डॉ पुनीत पारीक, विभागाध्यक्ष, डॉ भारती देवनानी सहायक आचार्य ने मिलकर के निर्धारित किया। साथ ही, सिटी स्कैन व बॉन स्कैन से ये सुनिश्चित किया गया कि कहीं ये रोग और अंगों में फैला हुआ तो नहीं है। इस परिस्थति में पांव को घुटने के ऊपर से काटने के अलावा सीमित विकल्प ही थे। अध्ययन करके पैर को बचाने की सर्जरी प्लान की गई तथा सर्जरी के दोरान ही ब्रेकीथेरेपी कैथेटर लगाने का फैसला किया गया। इस ऑपरेशन में पैर के फिबुला बोन के साथ में पैर के साइड व पीछे की मांसपेशियां व सॉफ्ट टिश्यूज, स्किन व कुछ नसें भी निकाली गईं। इसमें ब्रेकीथेरेपी तकनीक से इस प्रकार के ट्यूमर में ज़्यादा कारगर तरीके से ट्यूमर बेड पर रेडीयोथेरेपी दी जा सकती है।

इसमें इस तकनीक के साथ में इक्स्टर्नल बीम रेडीयोथेरेपी भी दी जाती है। इसमें अत्याधुनिक मशीन से इरिडीयम रेडीओऐक्टिव सौर्स से इंटर्स्टिशल ब्रेकीथेरेपी कैथेटर तकनीक द्वारा रेडियोथेरेपी दी गई। सर्जरी के पांच दिन बाद में लगातार तीन दिन तक सुबह व शाम को मिलाकर के 17 ग्रे मात्रा की रेडीयोथेरेपी दी। उसके बाद में कैथेटर निकालकर डिस्चार्ज कर दिया गया। घाव भरने व टांके निकलने के बाद लगभग एक महीने पश्चात बाह्य रेडीयोथेरेपी का प्लान किया गया है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ एम के गर्ग ने बताया की इस तकनीक से ऐसे बहुत से मरीज़ लाभान्वित होंगे।

एम्स जोधपुर की इस टीम ने की सर्जरी

ये ऑपरेशन डॉ जीवन राम विश्नोई की टीम ने किया। उनके साथ टीम में डॉ निवेदिता शर्मा (सहायक आचार्य), डॉ धर्माराम पुनिया (सहायक आचार्य), डॉ राजेंदर, डॉ अल्केश, डॉ अरविंद (सीनियर रेजिडेंट), एनेस्थेसिया से डॉ प्रियंका सेठी (सह आचार्य), डॉ वैष्णवी (सीनियर रेजिडेंट) नर्सिंग में तीजो चौधरी, इबा खरनीयोर व राजेंद्र थे। इसके बाद ऑपरेशन के दौरान ही रेडीयोथेरेपी विभाग में सहायक आचार्य डॉ भारती देवनानी की टीम ने ब्रेकीथेरपी कैथेटर लगाए। उनके साथ डॉ अमित व डॉ सुजोय थे। सर्जरी के बाद में रेडीयोथेरेपी विभाग में डॉ पुनीत पारीक, डॉ भारती देवनानी, डॉ आकांक्षा सोलंकी व फिजीसिस्ट सुमंता व जोस्मिन ने सीटी सिम्युलेशन करके बारीकी से ट्यूमर बेड के लिए उपयुक्त प्लान की संरचना की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.