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Remdesivir Injection की कालाबाजारी: खाली शीशीयों में दूसरी दवा भरकर बेच देते थे सौदेबाज

Black marketing of Remdesivir Injection कोरोना संक्रमण में संजीवनी की तरह उपयोग में लिए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी धडल्‍ले से जारी है। सौदेबाज रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली शीशीयों में दूसरी दवा भरकर उन्हें मजबूर लोगों को बेच दिया करते थे।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 01:41 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 01:41 PM (IST)
Remdesivir Injection की कालाबाजारी: खाली शीशीयों में दूसरी दवा भरकर बेच देते थे सौदेबाज
उदयपुर में चंद रुपयों के लिए चल रही थी सांसों की सौदेबाजी

उदयपुर, सुभाष शर्मा। कोरोना महामारी के बीच लोग सांसों की सौदेबाजी से बाज नहीं आ रहे। कोरोना संक्रमण में संजीवनी की तरह उपयोग में लिए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी किस हद तक की जा रही थी, वह चौंकाने वाली है। सौदेबाज संक्रमितों को लगाए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली शीशीयों में दूसरी दवा भरकर उन्हें मजबूर लोगों को बेच दिया करते थे। जिसमें चिकित्साकर्मियों की लिप्तता बताई जा रही है लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो पाई। इस बीच पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए पांच और आरोपी गिरफ्तार किए हैं। इन्हें मिलाकर अभी तक सात लोग पकड़े जा चुके हैं, जिनमें एक कॉडियोलॉजिस्ट तथा एमबीबीएस का स्टूडेंट शामिल है। 

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रेमडेसिविर इंजेक्शन की सौदेबाजी तीन तरह से की जा रही थी। जिसमें संक्रमितों के लिए अस्पतालों में मंगवाए गए इंजेक्शनों में से कुछ इंजेक्शन बचाकर उन्हें बाजार में एजेंटों के जरिए बेचा जा रहा था। एक संक्रमित व्यक्ति को पांच से छह इंजेक्शन लगाए जाने थे लेकिन अस्पतालों में काम करने वाले नर्सिंगकर्मी उनमें से एक या दो इंजेक्शन खुद के पास रख लेते थे। इससे बढ़कर अपराध यह हो रहा था कि सौदेबाज अस्पतालों में संक्रमितों को लगाए रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली शीशीयां खरीद लेते थे। जिनमें पैरासिटामोल या अन्य मिलती-जुलती दवाइयों को पीसकर चूरा बनाकर फिर से रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली शीशीयों में भर देते थे। जिन्हें वह बाजार में 45 हजार रुपए तक बेच देते थे। इसी तरह सौदेबाज एक और विधि से सांसों की सौदेबाजी में जुटे थे, जिनमें वह रेमडेसिविर इंजेक्शन की शीशी पर लगा स्टीकर उतारकर दूसरी दवाई की शीशी पर चस्पाकर उसे बेच दिया करते थे। 

ईएसआईसी अस्पताल से चोरी हुए थे रेमडेसिविर इंजेक्शन 

पता चला है कि उदयपुर के ईएसआईसी अस्पताल जिसे कोविड सेन्टर के रूप में विकसित किया हुआ है, उससे पिछले दिनों दस रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी हो गए थे, जिसकी विभागीय स्तर पर जांच जारी है लेकिन इस मामले में अभी तक मामला दर्ज नहीं कराया गया है। इस मामले में एमबी अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरएल सुमन जांच कर रहे हैं। 

संभाग भर में चल रहा था गोरखधंधा, पुलिस ने पांच को दबोचा 

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का काम अकेले उदयपुर में ही नहीं, बल्कि संभाग भर में जारी था। इस मामले में पुलिस ने पांच और सौदेबाजों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से चार इंजेक्शन बरामद किए, जिन्हें 45-45 हजार रुपए में बेचा जाना था। पकड़े गए आरोपियों में चिराग कलाल के अलावा बीफार्मा का छात्र भूपेंद्र सिंह चूण्डावत, ग्लोबल मैनेजमेंट कोर्स कर चुका आर्यन पटवा, निजी अस्पताल का नर्सिंगकर्मी शुभम कलाल, 108 एम्बुलेंस का संचालक नाथद्वारा निवासी सुभाष गर्ग शामिल हैं। ये सभी उदयपुर के गीतांजली अस्पताल तथा अरावली अस्पताल से संबंद्ध हैं। जिस चिराग कलाल को एमबी अस्पताल का संविदाकर्मी बताया था, वह मूलत: अरावली अस्पताल का रेडियोग्राफर निकला। इससे पहले पुलिस गीतांजली मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद अबीर खान तथा इसी कॉलेज से सैकण्ड ईयर एमबीबीएस कर रहे मोहित पाटीदार को गिरफ्तार कर चुकी है। 

इनका कहना है...

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में पुलिस ने ऐसे गैंग को पकड़ा है जो संभागभर में सक्रिय था। इनसे पूछताछ में चौकाने वाली जानकारी मिली है, जो बेहद खतरनाक है। खाली शीशीयों में दूसरी दवा भरकर बेचने से भी उन्हें भय नहीं लगता। पता लगाया जाना है कि वह कहां से खाली और भरे इंजेक्शन खरीद रहे थे। इसका भी जल्द खुलासा करेंगे। 

-डॉ. राजीव पचार, पुलिस अधीक्षक, उदयपुर 

अभी तक निजी और सरकारी अस्पतालों को आवश्यकता के अनुसार रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई हो रहे थे। जिनका रिकार्ड रखा जा रहा था। जिस तरह कालाबाजारी करने वाले सक्रिय हैं, अब खाली इंजेक्शनों की शीशीयों का रिकार्ड भी संधारित करना होगा। जिन्हें जांच के बाद ही डिस्पोजल किया जाएगा। 

- डॉ. दिनेश खराड़ी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी, उदयपुर


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