Rajasthan Local Body Elections 2019: भाजपा ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ जारी किया आरोप पत्र
Rajasthan Local Body Elections 2019. आरोप पत्र में सरकार पर प्रदेश में कानून व्यवस्था बदहाल करने और आपसी खींचतान में उलझे रहने के आरोप शामिल है।
जयपुर, जेएनएन। Rajasthan Local Body Elections 2019. राजस्थान निकाय चुनाव से पहले राजस्थान भाजपा ने कांग्रेस की मौजूदा सरकार के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया है। आरोप पत्र में सरकार पर प्रदेश मे कानून व्यवस्था बदहाल करने और आपसी खींचतान में उलझे रहने के आरोप शामिल है।
राजस्थान में 16 नवंबर को 49 निकायों के चुनाव होेने हैं। इसके लिए भाजपा ने मंगलवार को जहां अपना दृष्टि पत्र जारी किया था, वहीं बुधवार को सरकार के खिलाफ आरोप पत्र भी जारी किया। जयपुर में सांसद रामचरण बोहरा और पार्टी उपाध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने यह आरोप पत्र जारी किया। अन्य जिलों में भी पार्टी नेताओं की ओर से आरोप पत्र जारी किए गए। आरोप पत्र में सरकार पर विभिन्न विषयों से जुडे 16 आरोप लगाए गए हैं और कहा गया है कि दस महीने में ही राजस्थान की स्थिति खराब हो गई है।
लगाए ये आरोप
- कांग्रेस सरकार बनने के बाद कानून व्यवस्था का हाल बेहाल हो गया हेै। पिछले वर्ष के मुकाबले 42 हजार मुकदमे ज्यादा दर्ज हुए हैं। थाने तक सुरक्षित नहीं है और अपराधी थानों से आरोपियों को छुड़ा कर ले जा रहे हैं।
- सरकार आपसी खींचतान में उलझी है। सरकार दो धड़ों में बंटी हुई है। कांग्रेस विधायक अपने ही मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं।
- केंद्र सरकार द्वारा घोषित महंगाई भत्ता अब तक राज्य कर्मचारियों को नहीं दिया गया है।
- भाजपा सरकार के समय लागू स्वास्थ्य बीमा योजना में रोडे लगाए गए हैं।
- पेट्रोल व डीजल में हमने वैट कम किया था, लेकिन कांग्रेस ने वापस बढा दिया। इसी तरह टोल भी वापस लागू कर जनता पर आर्थिक भार डाला गया है।
- 40 से ज्यादा बार सांप्रदायिक तनाव हुआ है और भ्रष्टाचार चरम पर है
- निकायों मे सफाई और बिजली की व्यवस्था खराब हो गई है। ठेकेदारो को काम का भुगतान नहीं हो रहा है।
- तबादलों के नाम पर कर्मचारियों को धमकाया और डराया जा रहा है।
- निकायों में सत्ता के दुरुपयोग के लिए पार्षद चुनाव और अध्यक्ष के चुनाव में सात दिन का अंतराल रखा गया है। निकाय चुनाव की प्रक्रिया में बार बार बदलाव किया गया है।
- भाजपा के समय लागू बिजली बिल माफी योजना को बंद कर किसानों पर भार बढ़ाया गया है।
- नई नियुक्तियों की घोषणाएं नहीं की जा रही है। संविदाकर्मियों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए जा रहे हैैं।