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नए सत्र के छात्रों के अभिभावकों को बड़ी राहत, मेडिकल छात्रों से फीस की बैंक गारंटी लेने पर अंतरिम रोक

हाईकोर्ट ने इस मामले में फीस निर्धारित करने वाली कमेटी राज्य सरकार व संबंधित प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में याचिका दायर। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की आपत्ति से सहमति जताई। अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 08:24 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 08:24 PM (IST)
नए सत्र के छात्रों के अभिभावकों को बड़ी राहत, मेडिकल छात्रों से फीस की बैंक गारंटी लेने पर अंतरिम रोक
हाईकोर्ट ने मामले में फीस निर्धारित करने वाली कमेटी, सरकार व संबंधित मेडिकल कॉलेजों को नोटिस जारी।

जागरण संवाददाता, जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को एक आदेश जारी कर प्रदेश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों से ली जा रही साढ़े तीन साल की फीस की बैंक गारंटी जमा कराने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के इस आदेश से नए सत्र में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने वालो छात्रों के अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने इस मामले में फीस निर्धारित करने वाली कमेटी, राज्य सरकार व संबंधित प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को नोटिस जारी किया है। 

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हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में एक याचिका दायर 

एडवोकेट दीपेश सिंह बेनीवाल ने हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में एक याचिका दायर की थी, जिसमें प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों द्वारा साढ़े तीन साल की फीस की बैंक गारंटी मांगने को गलत बताते हुए रोक लगाने की मांग की थी। 

संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं

न्यायाधीश संगीत राज लोढ़ा व न्यायाधीश रामेश्वर लाल व्यास की खंडपीठ में इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की आपत्ति से सहमति जताते हुए बैंक गारंटी लेने पर अंतरिम रोक लगा दी है। संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं। 

दो साल की फी अग्रिम लेने की बैंक गारंटी 

इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। दरअसल, प्रावेट मेडिकल कॉलेजों में अलग-अलग सालाना फीस ली जाती है। सबसे कम फीस 15 लाख है। अधिकांश प्राइवेट मेडिकल कॉलेज प्रथम वर्ष की फीस लेने के साथ ही दो साल की फी अग्रिम लेने की बैंक गारंटी लेते हैं।

वहीं गहलोत सरकार की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर 1991 नये डॉक्टरों की भर्ती के आदेश जारी किए

अशोक गहलोत सरकार की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर 1991 डॉक्टरों की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए हैं। इन डॉक्टरों के आने के बाद प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में चिकित्सा सेवा सही तरह से उपलब्ध हो सकेगी। कई अस्पतालों में अब तक डॉक्टरों की कमी थी जो पूरी होगी। 

छोटे शहरों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सेवा 

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इससे पहले 735 डॉक्टरों की भर्ती हुई थी। अब नये 1991 जिन नये डॉक्टरों की भर्ती हुई है उनमें से 250 ऐसे में जो पीजी किए हैं। इन डॉक्टरों को तहसील मुख्यालय पर छोटे शहरों में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सेवा देने के लिए नियुक्त किया है। 

भर्ती से कोविड-19 मैनेजमेंट में काफी फायदा

वहीं एमबीबीएस डिग्री धारक डॉक्टरों को शहरी व ग्रामीण इलाकों में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में लगाया गया है। चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि एक हजार आयुष डॉक्टरों की भर्ती शीघ्र होगी। शर्मा का कहना है कि नये डॉक्टरों की भर्ती से कोविड-19 मैनेजमेंट में काफी फायदा होगा।


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