गहलोत और पायलट की खींचतान के चलते तीन साल से खाली पड़े पद, विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन अब तक नहीं हुई राजनीतिक नियुक्तियां
गहलोत और पायलट की खींचतान के चलते तीन साल से खाली पड़े पद हालात यह है कि पांच बड़े सैंवधानिक आयोगों में ही अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली पड़े हैं। इनमें महिला आयोगअनुसूचित जाति-जनजाति आयोगअन्य पिछड़ा वर्ग आयोगअल्पसंख्यक आयोग और सफाई मजदूर आयोग शामिल है।
जागरण संवाददाता,जयपुर। राजस्थान में करीब 22 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। सूबे की अशोक गहलोत सरकार तीन साल से ज्यादा का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। लेकिन गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान के चलते सरकार में राजनीतिक नियुक्तियां अब तक नहीं हो सकी है। हालात यह है कि पांच बड़े सैंवधानिक आयोगों में ही अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली पड़े हैं ।
इनमें महिला आयोग,अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग,अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,अल्पसंख्यक आयोग और सफाई मजदूर आयोग शामिल है। इनके साथ ही छोटे-बड़े 35 बोर्ड एवं निगमों में नियुक्तियों को लेकर गहलोत व पायलट के बीच सहमति नहीं बनने के कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष पनपने लगा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार बनते ही उन्हे सत्ता में भागीदारी देने का आश्वासन दिया गया था । अब 2023 में एक बार फिर विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन अब तक नियुक्तियां नहीं हो सकी है । साल,2018 जिन नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिल सका था, उन्हे आयोग,बोर्ड एवं निगमों में नियुक्तियां देने का वादा किया गया था ।
एक साल में 6,337 दुष्कर्म,लेकिन नहीं बना महिला आयोग
साल, 2021 में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 6,337 पुलिस मामले दर्ज हुए हैं। इस साल अब 15 दिन में ही दुष्कर्म के 17 मामले विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज हो चुके हैं।लेकिन अब तक सूबे में महिला आयोग का गठन तक नहीं हो सका है। दलितों पर अत्याचार के 7028 मामले पुलिस थानों में दर्ज होने के बावजूद अनुसूचित जाति-जनजाति और सफाई मजदूर आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गई है। दलितों को घोड़ी से उतारने की घटनाएं भी बढ़ी है। आयोग के बिना दलितों की सुनवाई नहीं हो रही है। कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेताओं में इस बात को लेकर नाराजगी है कि मुस्लिम समाज को हमेशा वोट बैंक माना जाता है। लेकिन नेताओं की आपसी लड़ाई में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और सदस्य नहीं बनाए जा सके हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग नहीं बनने से भी नाराजगी बढ़ रही है।
यहां होनी है नियुक्तियां
आवासन मण्डल,किसान आयोग,मगरा विकास बोर्ड,आधा दर्जन बड़े शहरों के नगर विकास न्यास, गौसेवा आयोग, समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड, मदरसा बोर्ड, पशुधन विकास बोर्ड, विशेष योग्यजन बोर्ड, केश कला बोर्ड, सैनिक कल्याण बोर्ड, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड, भूदान आयोग, हज कमेटी, आदिवासी कल्याण बोर्ड, मेवात विकास बोर्ड, बीज निगम के साथ ही जिला स्तर की विभिन्न समितियों सहित कुल 35 बोर्ड एवं निगमों में अध्यक्ष और सदस्यों के पदों पर करीब दो हजार कांग्रेसियों की नियुक्तियों का निर्णय सत्ता संभालते ही कांग्रेस नेतृत्व ने किया था । नियुक्तियों को लेकर गहलोत व पायलट के बीच सहमति बनाने के लिए प्रदेश प्रभारी अजय माकन कई बार कोशिश कर चुके हैं।