Rajasthan: पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती नहीं करेंगे अशोक गहलोत, केंद्रीय गृह मंत्री को लिखा पत्र
Rajasthan सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर लगाई जा रही एक्साइज ड्यृटी को और कम करने का आग्रह किया है। एक्साइज ड्यृटी कम होने से लोगों को राहत मिल सकेगी।
जयपुर, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम कर के लोगों को राहत दी है। केंद्र सरकार के निर्णय के तत्काल बाद 15 राज्य सरकारों ने भी पेट्रोल व डीजल पर वैट कम किया। रविवार को कांग्रेस शासित पंजाब सरकार ने पेट्रोल व डीजल के दामों में कमी की है, लेकिन राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार वैट कम करने को तैयार नहीं है। सीएम गहलोत ने साफ कर दिया कि राज्य सरकार वैट कम नहीं करेगी। सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर लगाई जा रही एक्साइज ड्यृटी (उत्पाद शुल्क) को और कम करने का आग्रह किया है। एक्साइज ड्यृटी कम होने से लोगों को राहत मिल सकेगी।
पत्र में गहलोत ने लिखा कि केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क कम करने के साथ ही राज्यों का वेट अनुपातिक रूप में अपने आप ही कम हो जाता है। केंद्र सरकार के पेट्रोल पर पांच और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क कम करने से राज्य के वैट की दर पेट्रोल पर 1.8 और डीजल पर 2.6 रुपये प्रति लीटर की कमी स्वत: हो गई है। इससे राज्य के वैट राजस्व में करीब 1800 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की हानि होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी पुनर्भरण के 5,963 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया होना राज्य के वित्तीय प्रबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण है। इसलिए बकाया का भुगतान किया जाना चाहिए। उन्होंने जीएसटी क्षतिपूर्ति पुनर्भरण की अवधि साल, 2027 तक बढ़ाने भी मांग की है। उल्लेखनीय है कि देश में सबसे महंगा पेट्रोल और डीजल राजस्थान में बिक रहा है। राज्य में पेट्रोल पर 36 और डीजल पर 26 प्रतिशत वैट है।
गौरतलब है कि पेट्रोल व डीजल पर शुल्क घटा कर आम जनता को राहत देने के मुद्दे पर जम कर राजनीति हो रही है। तीन नवंबर को केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमश: पांच रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर आम जनता को राहत पहुंचाने की घोषणा की थी। इसके बाद शनिवार तक 22 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से स्थानीय शुल्क (मूल्य वर्धित शुल्क-वैट) की दरों में कटौती की जा चुकी है, लेकिन अभी तक 14 राज्यों ने चुप्पी साध ली है जो विपक्षी दलों का शासन है।