Phone Tapping Case: अशोक गहलोत बोले, फोन टेप करना लोकतंत्र में अपराध
Phone Tapping Case अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार का सीबीआइ ईडी व आयकर विभाग पर दबाव है। देश के लोगों में भय है कि उनके फोन टेप हो रहे हैं। पेगासस मुद्दा तो अब सामने आया है हम पिछले पांच साल से इस बारे में कह रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में बढ़ते अपराधों को लेकर भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में टोलरेंस पावर (सहनशीलता की शक्ति) होना जरूरी है। केंद्र में आज जो सरकार है, उसमें ऐसा नहीं है। केंद्र सरकार का सीबीआइ, ईडी और आयकर विभाग पर दबाव है। देश के लोगों में भय है कि उनके फोन टेप हो रहे हैं। पेगासस मुद्दा तो अब सामने आया है, हम तो पिछले पांच साल से इस बारे में कह रहे हैं। किसी का फोन टेप करना लोकतंत्र में अपराध है। गहलोत बुधवार को राज्य में 15 नए पुलिस थानों के वर्चुअल लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के आधार पर भाजपा के नेता राज्य सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। इनके आरोपों में कोई दम नहीं है। एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट के प्रारंभ में लिख है कि अपराध समाज में मौजूद परिस्थितियों का परिणाम है। अपराध में वृद्धि और अपराध पंजीकरण में बढ़ोतरी में अंतर है। कुछ लोग दोनों को एक मानने लगे हैं। इस दौरान गहलोत ने पुलिस को सुझाव देते हुए कहा कि लोकतंत्र में सिफारिश तो चलेगी, लेकिन सिफारिश वह माननी चाहिए, जिसमें पीड़ित पक्ष को न्याय मिलता हो। पुलिस को अपराधी के पक्ष की सिफारिश को नहीं माननी चाहिए।
महिला अत्याचारों में कमी हुई
अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में साल, 2020 में महिला अत्याचारों में 16 फीसद की कमी आई है। राज्य में भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2017-18 में 30 फीसद महिलाओं को दुष्कर्म के मामले दर्ज करवाने के लिए कोर्ट तक पहुंचना पड़ता था, पुलिस थानों में सुनवाई नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के मामलों में जब तक समाज का नजरिया नहीं बदलता, तब तक पुलिस कुछ भी नहीं कर सकती है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में 47 फीसद रिपोर्ट जांच में झूठी पाई जाती है। साल, 2020 में पाक्सो एक्ट में दर्ज 23 फीसद और मौजूदा साल में अब तक 20 प्रतिशत मामले झूठे मिले हैं। झूठे मामले दर्ज होने के कारण कई बार वास्तविक पीड़ितों को न्याय मिलने में भी परेशानी होती है।