Rajasthan Political Crisis: राजभवन और सरकार में टकराव, गहलोत ने पीएम से की राज्यपाल के बर्ताव की शिकायत
Rajasthan Political Crisis मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर राज्यपाल कलराज मिश्र के बर्ताव के बारे में बताया है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में पिछले 18 दिनों से चल रहा सियासी घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। इसी बीच, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को पार्टी विधायकों से कहा कि मैंने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है। उन्होंने कहा कि मैंने पीएम से राज्यपाल कलराज मिश्र के बर्ताव के बारे में बताया। पीएम से कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्ताव पारित होने के बावजूद राज्यपाल द्वारा मंजूरी नहीं देना ठीक नहीं है। इसके साथ ही मेरे द्वारा पीएम को सात दिन पहले लिखे गए पत्र को लेकर भी चर्चा की।
उधर, कांगेस विधायक एवं संबद्ध विधायकों की ओर से सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में राष्ट्रपति से विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति दिलाने का आग्रह किया गया है। विधायकों ने ज्ञापन में कहा कि राज्य सरकार कोरोना महामारी सहित प्रदेश की विभिन्न आर्थिक समस्याओं के बारे में विधानसभा में सभी दलों से चर्चा कर के उचित फैसला करना चाहते हैं, लेकिन राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने दिया जा रहा। सब तरफ हमारे संवैधानिक अधिकारों व कोशिशों को विफल किया जा रहा है। राज्यपाल अपने पद की गरिमा की रक्षा किए बिना सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर संविधान की ओर अवहेलना कर रहे हैं। इस कारण हमारे पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचा कि हम इस संबंध में सारी स्थिति आपके समक्ष रखें। ज्ञापन में कहा गया कि पिछले कुछ समय से लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई राज्य सरकारों को हॉर्स ट्रेडिंग व अन्य भ्रष्ट आचरणों के माध्यम से अपदस्थ करने का प्रयास भाजपा नेताओं द्वारा किया जा रहा है। विधायकों की खरीद-फरोख्त व भ्रष्ट आचरण के प्रथम दृष्टि के प्रमाण पाये जाने के बावजूद केंद्रीय मंत्रियों को मंत्रिमंडल से नहीं हटाया जा रहा है।
तीन पूर्व कानून मंत्रियों ने राज्यपाल को पत्र लिखा
राज्य में चल रहे सियासी संग्राम के बीच पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल,सलमान खुर्शीद व अश्विनी कुमार ने राज्यपाल कलराज मिश्र का पत्र लिखकर विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर विचार रखे हैं। पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार के मंत्रियों और कैबिनेट द्वारा पास विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को राज्यपाल को पास करना होता है, ये संवैधानिक नियम है। इसके अलावा संविधान के आर्टिकल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार विधानसभा सत्र बुलाना राज्यपाल का कर्तव्य है। तीनों पूर्व मंत्रियों ने कहा कि अगर नियमों का पालन नहीं किया गया तो ऐसी स्थिति में राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो सकता है। तीनों मंत्रियों ने राज्यपाल से कहा कि हमें उम्मीद है कि आप सत्र बुलाने को लेकर जल्द से जल्द फैसला लेंगे।