अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे एक बार फिर आमने-सामने हो, एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी
राजस्थान कांग्रेस में कुछ दिनों की शांति के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे फिर आमने-सामने हो गए । दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की । विधायक गुर्जर बोले कई जिलों में जिला प्रमुख नहीं बने उसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
जागरण संवाददाता,जयपुर! राजस्थान कांग्रेस में कुछ दिनों की शांति के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे एक बार फिर आमने-सामने हो गए । दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की । जयपुर जिला प्रमुख के चुनाव में कांग्रेस का बहुमत होने के बावजूद क्रास वोटिंग और बगावत के कारण भाजपा को लाभ मिल गया । गहलोत के करीबी खेल राज्यमंत्री अशोक चांदना ने नाम लिए बिना पायलट खेमे पर निशाना साधा । चांदना ने कुछ नेताओं को "जयचंद"बता दिया ।
उन्होंने कहा मुझे भाजपा से कोई शिकायत नहीं है,लेकिन कांग्रेस के कुछ "जयचंद"भाजपा के हाथों में बिक गए । कांग्रेस में रहकर यह लोग भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। इनके चेहरे पर मंशा साफ दिखती है । उन्होंने कहा,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलकामान ने एक साल पहले'फॉरगेट एंड फॉरगिव' नीति के तहत बड़ा दिल दिखाते हुए बगावत करने वालों का वापसी पर स्वागत किया । लेकिन इन लोगों ने जिला प्रमुख के चुनाव में धोखाधड़ी की । इन लोगो की शिकायत ऊपर तक पहुंची है। अगर आलाकमान ने माफ किया तो भी आगे कार्रवाई होगी । यह लोग कांग्रेस के रहकर पार्टी को निपटाने का काम कर रहे हैं।
दरअसल,जयपुर जिला प्रमुख चुनाव में जिला परिषद के दो सदस्यों को पायलट के विश्वस्त विधायक वेदप्रकाश सोलंकी की सिफारिश पर टिकट दिया गया था । दोनों ने ही बगावत कर भाजपा का साथ दिया था । इस मामले में सोलंकी पर भाजपा के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए जा रहे हैं। उधर चांदना के बयान के बाद पायलट समर्थक विधायक इंद्रराज गुर्जर ने चांदना पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारी पार्टी का जिला प्रमुख नहीं बनना दुर्भाग्यपूर्ण है। जैसलमेर सहित कई जिलों में बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस का जिला प्रमुख नहीं बना,इसकी जिम्मेदारी पहले तय होनी चाहिए ।
उन्होंने कहा कि जयपुर में जिला प्रमुख वरिष्ठ नेताओं में समन्वय की कमी के कारण हार हुई है । सोलंकी ने भी खुद पर लग रहे आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि प्रदेश नेतृत्व ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया ।