Rajasthan: राजस्थान भाजपा में गुटबाजी खत्म करने में जुटे अरुण सिंह
Rajasthan गुटबाजी से परेशान सांसद विधायक और संगठन के पदाधिकारी किसी ऐसे नेता को प्रदेश का नेतृत्व देने के पक्षधर है जो सबको साथ लेकर चल सके। इस संबंध में सांसदों विधायकों व संगठन से जुड़े नेताओं ने पार्टी आलाकमान तक अपना संदेश पहुंचाया है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Rajasthan: राजस्थान भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। कई खेमों में बंटी भाजपा दो साल में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ अब तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं कर सकी है। गुटबाजी से परेशान सांसद, विधायक और संगठन के पदाधिकारी किसी ऐसे नेता को प्रदेश का नेतृत्व देने के पक्षधर है, जो सबको साथ लेकर चल सके। इस संबंध में सांसदों, विधायकों व संगठन से जुड़े नेताओं ने पार्टी आलाकमान तक अपना संदेश पहुंचाया है। अधिकांश नेताओं का मानना है कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव को प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होना चाहिए। यादव ने प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने को लेकर कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन उनकी संगठनात्मक क्षमता के कारण उनके समर्थकों की तादात यहां काफी है।
पार्टी नेताओं ने आलाकमान तक संदेश पहुंचाया है कि तीन साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सर्वमान्य नेता के रूप में यादव के नेतृत्व में गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया जाना चाहिए। पिछले दो माह में एक दर्जन से अधिक विधायकों व संगठन से जुड़े नेताओं ने दिल्ली जाकर यादव से मुलाकात की है। सूत्रों के अनुसार, सांसद रामचरण बोहरा, बालकनाथ, मनोज राजोरिया, पूर्व मंत्री जसवंत यादव सहित कई नेता केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष यादव को प्रदेश में सक्रिय किए जाने को लेकर अपनी बात पहुंचा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश भाजपा चार से पांच खेमों में बंटी है। सबसे मजबूत खेमा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का है, जिनके साथ करीब तीन दर्जन विधायक है।
दूसरा खेमा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और तीसरा खेमा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया का है। शेखावत और पूनिया को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों का समर्थन हासिल है। वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश माथुर व केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी अपने-अपने समर्थकों को एकजुट करने में जुटे हैं। खेमों में बंटी भाजपा को एकजुट करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह कसरत कर रहे हैं। अरुण सिंह ने पिछले एक माह में विधायकों, वरिष्ठ नेताओं के साथ ही कार्यकर्ताओं से भी संवाद किया है। हालांकि अब तक उन्हें उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल सकी है।