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राजस्थान में कोरोना के बाद एमआईएस से दो माह में 17 बच्चों की मौत, एंटी बॉडीज बढ़ने से अंगों को हो रहा नुकसान

चिकित्सकों का कहना है कि जब एंटी बॉडी ज्यादा बनने लगती है तो कोरोना से तो बच जाते हैं लेकिन शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचता है। बच्चों के शरीर का इम्यून सिस्टम ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है।

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 10:33 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 10:33 AM (IST)
राजस्थान में कोरोना के बाद एमआईएस से दो माह में 17 बच्चों की मौत, एंटी बॉडीज बढ़ने से अंगों को हो रहा नुकसान
राजस्थान में बच्चे कोरोना के बाद मल्टीसिस्टम इंफ्लामेंट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआईएस) के शिकार हो रहे हैं।

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में बच्चे कोरोना के बाद मल्टीसिस्टम इंफ्लामेंट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआईएस) के शिकार हो रहे हैं। ऐसा संक्रमण के बाद बच्चों को को दी जा रही एंटी बॉडी के कारण होने की बात सामने आई है। कोरोना का मुकाबला करने के लिए बच्चों को एंटी बॉडी वैक्सीन लगाई जा रही है। इस वैक्सीन के कारण उनमें संक्रमण तो खत्म होता है, लेकिन पोस्ट कोविड से परेशान बच्चों में हाई कोविड एंटीबॉडी अब बच्चों के लिए आफत बन गई है।

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हार्ड एंटी बाडी या इम्पन सिस्टम को के हाईपर एक्टिव कर देने से बच्चे एमआईएस के शिकार हो रहे हैें। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार जयपुर में ही पिछले दो माह में 17 बच्चों की मौत इस बीमारी से हो रही है। सरकारी अधिकारी अथवा चिकित्सा विभाग इस बारे में अधिकारिक जानकारी देने को तैयार नहीं है, लेकिन मौत के आंकड़ों ने चिंता बढ़ा दी है। जयपुर स्थित राज्य के सबसे बड़े जेकेलोन अस्पताल में पोस्ट कोविड के शिकार बच्चों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ये सभी एमआईएस से पीड़ित है। अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित 150 से ज्यादा बच्चे पहुंच चुके हैं।

चिंता इस बात की

चिंता इस बात को लेकर है कि एमआईएस के शिकार वे बच्चे ज्यादा हो रहे हैं जिनमें कोरोना के हल्के लक्षण दिखे थे और वे स्वस्थ हो गए। बच्चों के एंटी बॉडी वैक्सीन लगाई गई थी। कई मामलों में तो बच्चों के परिजनों को कोरोना होने की जानकारी ही नहीं है, वे सामान्य इलाज करते रहे। अब हार्ड एंटी बॉडी बनने से ये बच्चे पोस्ट कोविड में एमआईएस के शिकार हो रहे हैं।

चिकित्सकों का कहना है कि जब एंटी बॉडी ज्यादा बनने लगती है तो कोरोना से तो बच जाते हैं, लेकिन शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचता है। बच्चों के शरीर का इम्यून सिस्टम ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। राज्य के प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.अशोक गुप्ता का कहना है कि एमआईएस इतना ज्यादा खतरनाक है कि यदि समय पर अस्पताल नहीं ले जाया जाए तो बच्चों में मौत का खतरा बढ़ जाता है। कोरोना से ठीक होने के बाद एक से छह सप्ताह में इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। इस बीमारी की जानकारी आरटीपीसीआर टेस्ट और कोविड एंटी बॉडी टेस्ट से सामने आती है।

चिकित्सकों का कहना है कि इस बीमारी में 24 घंटे तेज बुखार रहता है। त्वचा पर लाल दाने होने के साथ ही पेट दर्द होता हैै। आंख लाल हो जाती है। एंटी बॉडीज की संख्या बनने से अंगों को नुकसान होता है । 


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