Rajasthan: मंत्रिमंडल के बाद अब विभागों का बंटवारा भी दिल्ली से ही हुआ, जानें-किस मंत्री को क्या मिला
Rajasthan राजस्थान में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कांग्रेस आलाकमान को ही करना पड़ा। मंत्रियों की सूची भी आलाकमान ने ही तय की थी। अशोक गहलोत व सचिन पायलट से उनकी पसंद के विधायकों के नाम मांग लिए गए थे लेकिन अंतिम सूची आलाकमान ने ही जारी की।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभागों के बंटवारे में भी काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने खेमे के मंत्रियों को महत्वपूर्ण विभाग दिलवाने पर अड़ गए। गहलोत उन्हें कम महत्वपूर्ण विभाग देना चाहते थे। ऐसे में विभागों का बंटवारा भी कांग्रेस आलाकमान को ही करना पड़ा। इससे पहले मंत्रियों की सूची भी आलाकमान ने ही तय की थी। गहलोत और पायलट से उनकी पसंद के विधायकों के नाम मांग लिए गए थे, लेकिन अंतिम सूची आलाकमान ने ही जारी की। इसी बीच, मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज वरिष्ठ विधायक दयाराम परमार ने सीएम को पत्र लिखकर कहा कि मंत्रिमंडल के गठन से ऐसा लगता है कि मंत्री बनने के लिए कोई विशेष योग्यता की आवश्यक्ता होती है। कृपया इसे बताने की कृपा करें कि विशेष काबलियत क्या है, जिससे उसको हासिल कर के मंत्री बनने की कोशिश की जा सके।
इन्होंने जताया विरोध
विधायक भरत सिंह ने सीएम को पत्र लिखकर अगला चुनाव नहीं लड़ने की बात कही। वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और यूपी में प्रियंका गांधी के सहयोगी जुबेर खान की विधायक पत्नी साफिया ने कहा कि मंत्रिमंडल में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण नहीं मिला है। विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, जौहरीलाल मीणा, बाबूलाल बैरवा और बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले जोगेंद्र अवाना व संदीप यादव ने भी मंत्री नहीं बनाए जाने पर नाराजगी जताई है। उधर, नए मंत्रियों के शपथ लेते ही विधायकों में उठे विरोध के स्वर को शांत करने के लिए छह विधायकों को सीएम ने अपना सलाहकार बनाया तो भाजपा ने इसे संविधान के खिलाफ बताया। विधानसभा में भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने राज्यपाल कलराज मिश्र को पत्र लिखकर कहा कि कोई भी विधायक लाभ का पद नहीं ले सकता है। उन्होंने कहा कि नियमों के तहत विधायकों की इस तरह की नियुक्ति नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि विधायकों के विद्रोह को शांत करने के लिए संसदीय सचिव बनाने की कवायद चल रही है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालय संसदीय सचिवों को अयोग्य करार दे चुका है।
20 घंटे बाद बंटे विभाग
नए मंत्रियों को रविवार शाम चार बजे राज्यपाल कलराज मिश्र ने शपथ दिलाई थी, लेकिन विभागों का बंटवारा सोमवार दोपहर बाद हो सका, जबकि इससे पहले अन्य सरकारों में मंत्रियों की शपथ के एक से दो घंटे के भीतर ही विभागों का आवंटन कर दिया जाता था। दरअसल, विभागों के बंटवारे को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच अजय माकन सहमति नहीं बना सके। ऐसे में उन्होंने दिल्ली जाकर संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ चर्चा की और फिर महासचिव प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप के बाद विभागों की सूची को अंतिम रूप दिया गया।
जानिए, किस मंत्री को क्या मिला
कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल पहले की तरह स्वायत्त शासन और संसदीय कार्यमंत्री रहेंगे। विश्वेंद्र सिंह को पर्यटन, प्रताप सिंह खाचरियावास को खाद्य, हेमाराम चौधरी को वन, बीडी कल्ला को स्कूली शिक्षा, परसादी लाल मीणा को चिकित्सा व आबकारी, लालचंद कटारिया को कृषि, प्रमोद जैन को खनन, उदयलाल आंजना को सहकारिता, सालेह मोहम्मद को अल्पसंख्यक मामलात, महेश जोशी को जलदाय, रामलाल को राजस्व, रमेश मीणा को पंचायती राज, ममता भूपेश को महिला व बाल विकास, भजन लाल जाटव को सार्वजनिक निर्माण, टीकाराम को सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग का जिम्मा सौंपा गया है। इसी तरह राज्यमंत्रियों में जाहिदा खान को विज्ञान व प्रौद्योगिकी, बृजेंद्र ओला को परिवहन, शकुंतला रावत को उद्योग, भंवर सिंह को ऊर्जा, अशोक चांदना को खेल, राजेंद्र यादव को मोटर गैराज, सुभाष गर्ग को आयुर्वेद विभाग का जिम्मा सौंपा गया है।