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तीन टाइगर रिजर्व के 100 से ज्यादा बाघों के लिए मुसीबत बने 91 गांव

2008 में बनी गांवों को विस्थापित करने की बनी योजना 108 गांवों में से 14 का ही हो सका विस्थापन तीनों टाइगर रिजर्व के आसपास बसे करीब 12 हजार परिवारों को विस्थापित करने का काम काफी समय से अटका हुआ है।

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 02:50 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 02:50 PM (IST)
तीन टाइगर रिजर्व के 100 से ज्यादा बाघों के लिए मुसीबत बने 91 गांव
तीन टाइगर रिजर्व के 100 से ज्यादा बाघों के लिए मुसीबत बने 91 गांव

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा । राजस्थान के तीन टाइगर रिजर्व (रणथंभौर राष्ट्रीय अभयारण्य, सरिस्का राष्ट्रीय अभयारण्य और मुकुण्दरा रिजर्व ) में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है। बाघों के बढ़ते कुनबे से वन विभाग और वन्यजीव प्रेमी खुश हैं। लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण टाइगर रिजर्व में मानव दखल बढ़ा है। तीनों टाइगर रिजर्व के आसपास बसे करीब 12 हजार परिवारों को विस्थापित करने का काम काफी समय से अटका हुआ है। अब एक बार फिर मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने वन विभाग के अधिकारियों एवं जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि टाइगर रिजर्व के आसपास बसे गांवों को शीघ्र विस्थापित किया जाए ।

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बाघों के शिकार और ग्रामीणों के साथ संघर्ष में मौत के बाद सरिस्का साल, 2004 में पूरी तरह से बाघ विहिन हो गया था । इसके बाद सरकार ने तीनों टाइगर रिजर्व के आसपास बसें परिवारों को दूसरी जगह बसाने की योजना बनाई थी।

साल, 2008 में गांवों को विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन तीनों टाइगर रिजर्व से विस्थापित किए जाने वाले 105 गांवों में से अब तक मात्र 14 गांवों का ही विस्थापन किया गया है। विस्थापन की प्रक्रिया की धीमी गति के कारण बाघों को पर्याप्त खुला स्थान नहीं मिल पा रहा है। जंगल में बढ़ रहे मानवीय दखल के कारण बाघ सहित अन्य वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में जगह कम होने के कारण बाघों में आपसी संघर्ष की घटनाएं भी पिछले कुछ माह में सामने आई है।

तीनों टाइगर रिजर्व का यह है रिपोर्ट कार्ड

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से 62 गांवों के करीब नौ हजार परिवारों को विस्थापित किया जाना था । लेकिन अब तक मात्र पांच गांव के एक हजार परिवार ही विस्थापित हो सके हैं । रणथम्भौर का कुल क्षेत्रफल 1734 है । इसमें से 392 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और 1342 किलोमीटर का बफर जोन है। यहां विस्थापन जुलाई, 2017 में हुआ था। यहां कुल 77 टाइगर हैं। इसी तरह सरिस्का टाइगर रिजर्व एरिया में बसे 29 गांवों को विस्थापित किए जाने की योजना बनाई गई। पहले तो ग्रामीण दूसरी जगह जाने को तैयार नहीं हुए । काफी मशक्कत के बाद ग्रामीणों को विस्थापित होने के लिए तैयार किया गया प्रशासन सुस्त हो गया। ऐसे में 29 में से मात्र 6 गांवों के एक हजार परिवारों को ही विस्थापित किया जा सका है। यहां वर्तमान में 25 टाइगर हैं।

866 वर्ग किलोमीटर में फैले सरिस्का टाइगर रिजर्व के बीच में से निकल रही सार्वजनिक सड़क भी वन्यजीवों के लिए मुसीबन बनी हुई है। मुकुण्दरा टाइगर रिजर्व से 14 गांवों के 1600 परिवारों को दूसरी जगह बसाने को लेकर सर्व हुआ । लेकिन अब तक दो गांवों के लोगों को ही दूसरी जगह बसाया जा सका है। मुकुण्दरा का क्षेत्रफल 760 किलोमीटर का है। इसमें से 417 कोर एिरया है।

अधिकारियों का तर्क

राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर का कहना है कि कुछ कारणों से गांवों का विस्थापन नहीं किया सका है। अब जल्द ही तीनों जिलों के कलेकटरों से चर्चा कर विस्थापन की प्रक्रिया तेज होगी । तोमर ने मुख्य सचिव के साथ बैठक में बजट की कमी,कलेक्टरों द्वारा सहयोग नहीं करने और ग्रामीणों के विस्थापन के लिए तैयार नहीं होने की बात कही । मुख्य सचिव ने बताया कि सोमवार को इस सम्बन्ध में बैठक हुई है,अब विस्थापन के काम को गति मिलेगी । 


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