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सामूहिक विवाह समारोह में 47 दिव्यांग जोड़ों ने की एक नई जिंदगी की शुरुआत, दहेज को कहा- ना

राजस्थान के उदयपुर शहर में आयोजित हुए सामूहिक विवाह समारोह में 47 दिव्यांग और अभावग्रस्त जोड़ों ने एकदूसरे का अपना जीवनसाथी स्वीकार किया।

By Vikash GaurEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 03:17 PM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 03:17 PM (IST)
सामूहिक विवाह समारोह में 47 दिव्यांग जोड़ों ने की एक नई जिंदगी की शुरुआत, दहेज को कहा- ना
सामूहिक विवाह समारोह में 47 दिव्यांग जोड़ों ने की एक नई जिंदगी की शुरुआत, दहेज को कहा- ना

उदयपुर, जागरण न्यूज नेटवर्क। गैर-लाभकारी संगठन नारायण सेवा संस्थान की ओर से राजस्थान के उदयपुर शहर में 34 वां सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया। इसमें 47 दिव्यांग और अभावग्रस्त जोड़े विवाह सूत्र में बंधे। इस तरह इन दर्जनों दिव्यांग जोड़ों ने एक नई जिंदगी की शुरुआत की। सामूहिक विवाह समारोह में जीवन साथी बने इन जोड़ों ने दहेज प्रथा के उन्मूलन के लिए प्रतिज्ञा की।

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एकदूसरे के जीवन साथी बनने वाले 47 दिव्यांग जोड़ों में से 30 से अधिक जोड़े ऐसे हैं, जिन्होंने नारायण सेवा संस्थान के सहयोग से करेक्टिव सर्जरी का लाभ उठाया है। इसके बाद वहां वोकेशनल ट्रेनिंग के जरिये अपना कौशल प्रशिक्षण पूरा किया है। इन लोगों को आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने के लिए संस्था ने उन्हें उनकी क्षमता के मुताबिक रोजगार भी उपलब्ध कराया है।

नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक पद्मश्री कैलाश 'मानव' अग्रवाल, कमलादेवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल और डायरेक्टर वंदना अग्रवाल ने 34 वें सामूहिक विवाह समारोह में विवाह सूत्र में बंधने वाले जोड़ों को आशीर्वाद दिया। नारायण सेवा संस्थान ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक 2051 से अधिक दिव्यांग और अभावग्रस्त दंपतियों के जीवन में उजाला लाने का प्रयास किया है।

सामूहिक विवाह समारोह के दौरान वे सभी महत्वपूर्ण संस्कार पूरे किए गए, जिनकी पालना आम तौर पर भारतीय विवाह समारोहों में की जाती है। इस दौरान सब कुछ बड़े पैमाने पर हुआ- जैसे वीडियोग्राफी, शादी के फोटो शूट, संगीत के साथ बारात का नाच-गाना, वगैरह। समारोह के दौरान, 47 जोड़ों को घरेलू सामान, साड़ी और हजारों लोगां का आशीर्वाद हासिल हुआ।

संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने इस मौके पर कहा, "दिव्यांग लोगों के लिए अपना घर बसाना वाकई एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। वित्तीय बाधाओं और शारीरिक कठिनाइयों के कारण शादी करना उनके लिए बहुत मुश्किल लगता है। ऐसे में यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि हम सभी जोड़ों की जरूरतों को पूरा करें और उन्हें किसी भी अन्य जोड़े की तरह सामान्य जीवन जीने का एक उपाय पेश करें।" 


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