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विदेश में जिगर के टुकड़े, घरों में इंतजार

21 फरवरी को तरनतारन से हांगकांग के लिए रवाना हुए कीर्तन जत्थे के परिवार में इंतजार के सिवा अगर कुछ है तो गुरु घर के आगे अरदास ही है। जत्थे के तीन युवा गुरुद्वारा खालसा दीवान हांगकांग में समय गुजार रहे है। उनके परिवार अपने जिगर के टुकड़ों का घरों में इंतजार कर रहे है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 11:00 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 11:00 PM (IST)
विदेश में जिगर के टुकड़े, घरों में इंतजार
विदेश में जिगर के टुकड़े, घरों में इंतजार

जागरण संवाददाता, तरनतारन : 21 फरवरी को तरनतारन से हांगकांग के लिए रवाना हुए कीर्तन जत्थे के परिवार में इंतजार के सिवा अगर कुछ है तो गुरु घर के आगे अरदास ही है। जत्थे के तीन युवा गुरुद्वारा खालसा दीवान हांगकांग में समय गुजार रहे है। उनके परिवार अपने जिगर के टुकड़ों का घरों में इंतजार कर रहे है।

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कीर्तन के साथ जुड़े रछपाल सिंह, जसपाल सिंह व गुरबख्श सिंह नामक तीनों युवक 21 फरवरी को हांगकांग लिए रवाना हुए थे। इनको गुरुद्वारा साहिब में कीर्तन करने लिए दो माह का वीजा मिला था। हांगकांग स्थित गुरुद्वारा खालसा दीवान में तीनों युवक पहुंच गए। इसके बाद कोरोना वायरस का कहर बढ़ गया। हांगकांग शहर के साथ गुरुद्वारा साहिब में संगत की आमद बंद कर दी गई। यह तीनों युवक गुरुद्वारा साहिब में ही रुके हुए है। मां सविंदर कौर कहती है कि भले ही उसके जिगर का टुकड़ा हांगकांग के गुरुद्वारा साहिब में कुशल मंगल है। परंतु रोज दो वक्त अरदास करती है कि कोरोना वायरस का असर खत्म हो जाए। इस सेवा लिए यह बच्चे हांगकांग गए है, वाहेगुरु उनसे जरूर सेवा लें।


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