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दरिया ब्यास के फैला से आएगी 'समस्याओं की बाढ़'

बरसात का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में अगर बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ा तो भगवान ही रखवाला होगा। क्योंकि बाढ़ से निपटने लिए इस बार सरकार आर्थिक संकट के कारण जिले को साढ़े 11 करोड़ की राशि मुहैया नहीं करवा पाई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 03:42 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 03:42 PM (IST)
दरिया ब्यास के फैला से आएगी 'समस्याओं की बाढ़'
दरिया ब्यास के फैला से आएगी 'समस्याओं की बाढ़'

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन

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बरसात का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में अगर बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ा तो भगवान ही रखवाला होगा। क्योंकि बाढ़ से निपटने लिए इस बार सरकार आर्थिक संकट के कारण जिले को साढ़े 11 करोड़ की राशि मुहैया नहीं करवा पाई।

दरिया ब्यास की मार हर वर्ष तरनतारन जिले के गांवों को झेलनी पड़ती है। पौंग डेम से जब पानी छोड़ा जाता है तो दरिया ब्यास उफान पर आता है। सतलुज और ब्यास के संगम स्थान हरिके पत्तन हेड वर्कस पर भी जल स्तर तेजी से बढ़ जाता है। बचाव के लिए हरिके हेड वर्कस से फिरोजपुर फीडर, राजस्थान फीडर को पानी छोड़ा जाता है।

दरिया ब्यास के साथ लगने वाले गांवों को बाढ़ से बचाने के लिए पानी पाकिस्तान की ओर भी छोड़ा जाता है। फिर भी हरिके पत्तन, कोटबुड्ढा, घडुम, गट्टी, गट्टी बादशाह, सभरा, घड़का, मुंडापिंड, गुजरपुरा, करमूवाला, कंबोह ढाए वाला, धुन्न ढाए वाला, चंबा कलां, धूंदा, गोइंदवाल साहिब, मियाणी, खक्ख, वैरोंवाल समेत दो दर्जन गांव हर वर्ष पानी में डूब जाते है। जिसके कारण हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन में फसलें बर्बाद होती है। गत वर्ष बाढ़ से हुए नुकसान से सबक सीखते हुए ड्रेनज विभाग ने आगामी प्रबंधों के लिए सरकार से साढ़े 11 करोड़ की राशि मांगी थी, परंतु कोरोना महामारी कारण आर्थिक संकट झेल रही कांग्रेस सरकार द्वारा जो राशि जारी की, वह ऊंठ के मुंह में जीरा देने के बराबर है। सरकार द्वारा इस बार केवल 75 लाख की राशि ही जारी की गई है। दरिया ब्यास के साथ लगते धुस्सी बांध की मजबूती लिए सरकार द्वारा एक धेला भी जारी नहीं किया गया।

ड्रेनज विभाग के सूत्रों की मानें तो पंजवड़, कैरों, मुरादपुरा, शाहबाजपुर, खडूर साहिब, सोहल, नारला लिंक ड्रेनों के अलावा गांव दोदे और झब्बाल नहरों की सफाई की जा रही है। 63 लाख की उक्त राशि से नहरों और नालों की सफाई भले ही जुलाई माह के अंत तक मुकम्मल कर दी जानी है, परंतु दरिया ब्यास के लगातार बढ़ रहे फैलाव के कारण प्रभावित होने वाले क्षेत्रों को बचाने लिए प्रशासन के पास कोई प्रबंध नहीं है। नुकसान के लिए सरकार जिम्मेदार

किसान संघर्ष कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नु, जमहूरी किसान सभा के नेता जसपाल सिंह ढिल्लों, आरएमपीआइ के प्रदेश सचिव प्रगट सिंह जामाराय, शहीद भगत सिंह नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष सुलखण सिंह तुड़, देहाती मजदूर सभा के नेता बलदेव सिंह पंडोरी का कहना है कि हर वर्ष दर्जनों गांवों का उजाड़ा होने के बावजूद सरकार द्वारा फंड मुहैया न करवाना, चिंता का विषय है। बाढ़ से अगर जानी या माली नुकसान होता है तो उसके लिए सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार होगी। नालों की सफाई है जारी

जिला प्रशासन द्वारा संभावी बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर अभी तक ग्राउंड स्तर पर जिम्मेदारी नहीं निभाई गई। संवेदनशील प्वाइटों पर बांध की मजबूती लिए फंड मुहैया न होना, यहां बड़ी बर्बादी का कारण बन सकता है। वहीं सुरक्षित स्थान चिन्हित नहीं हो सके। ड्रेनज विभाग के एक्सईएन महेश सिंह की मानें तो सरकार द्वारा नालों की सफाई लिए जो 63 लाख की राशि जारी की गई है। उसे खर्च करते हुए सफाई का काम चल रहा है। किए जा रहे हैं प्रबंध मुकम्मल : डीसी

डीसी कुलवंत सिंह धूरी का कहना है कि संभावी बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर निकासी नाले की सफाई का काम तेजी से चल रहा है। मैं खुद दरिया ब्यास से जुड़े क्षेत्र का दौरा कर चुका हूं। आने वाले दिनों में प्रबंधों का जायजा लेने लिए दोबारा दौरा किया जाएगा। अगर बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ा तो जिला स्तर पर बाढ़ कंट्रोल रूम तो होगा ही, तहसील स्तर पर भी ऐसे कंट्रोल रूम स्थापित किए जा रहे हैं। पशुओं के लिए चारा, तरपाल व दवाइयां आदि के व्यवस्था के आदेश दिए गए हैं।


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