सलाम सिस्टर: 30 वर्ष का अनुभव आ रहा कोविड मरीजों के लिए काम
मुझे याद है करीब आठ माह पहले सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीजों के 100 बेड भरे हुए थे।
जागरण संवाददाता, तरनतारन : मुझे याद है, करीब आठ माह पहले सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीजों के 100 बेड भरे हुए थे। इतनी बड़ी तादाद में भर्ती कोरोना मरीजों के बीच जाकर उनका इलाज करना कोई आसान काम नहीं था। परंतु 30 वर्ष की सेवाओं के दौरान मुझे जो अनुभव मिला, उसी के बलबूते मैंने इन मरीजों का इलाज किया। मुझे इस बात की खुशी है कि इन मरीजों में से किसी एक की भी मौत नहीं हुई। यह कहना है सिविल अस्पताल में तैनात स्टाफ नर्स दविदर कौर (53) का।
दविदर कौर के पति दिलबाग सिंह आढ़ती हैं। दोनों बेटे विदेश में रहते हैं। पिछले साल मार्च में जब कोरोना महामारी का दौर बढ़ा तो श्री दरबार साहिब जाकर अरदास करवाकर सरबत का भला मांगा। दविदर कौर कहती हैं कि उस दिन से लेकर आज तक कोरोना मरीजों के बीच जाकर कभी तलखी नहीं हुई। बल्कि इस ड्यूटी को जिदगी का फर्ज समझकर निभाया जा रहा है। स्टाफ नर्स दविदर कौर जुलाई महीने में खुद कोरोना पाजिटिव हो गई। इस दौरान पति दिलबागने हौसला बढ़ाते मुझे मानसिक तौर पर मजबूती दी। वह कहती है कि कोरोना मरीजों से डरने की नहीं, बल्कि उनका हौसला बढ़ाने की जरूरत होती है।