विधायक सिक्की के लिए टिकट में बाधा बना जहरीली शराब का मामला
जहरीली शराब का मामला विधायक सिक्की का पीछा नहीं छोड़ रहा।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन
जुलाई 2020 में जहरीली शराब से जिले में 100 से अधिक लोगों की जान और 20 के करीब लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। यह घटना खडूर साहिब के कांग्रेस विधायक रमनजीत सिंह सिक्की के हलके में हुई थी। राज्य सरकार ने पीड़ित परिवारों को भले ही मुआवजा दे दिया, परंतु जहरीली शराब का मामला विधायक सिक्की का पीछा नहीं छोड़ रहा। इसी कारण संभावना है कि सिक्की की टिकट कहीं कट न जाए, क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू जहरीली शराब मामले में सख्त स्टेंड ले रहे हैं।
दरअसल, 2012 में पहली बार खडूर साहिब से उतरे रमनजीत सिंह सिक्की ने रणजीत सिंह ब्रह्मंपुरा को हराया था। 2017 में सिक्की ने ब्रह्मंपुरा के बेटे रविदर सिंह ब्रह्मंपुरा को मात दी थी। खडूर साहिब से लगातार दो चुनाव जीतने वाले सिक्की के संबंध अब सियासी गुरु व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह के साथ भी नहीं रहे। सूत्रों की मानें तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू विधायक सिक्की के पीछे पड़े हैं। सिद्धू का तर्क है कि जहरीली शराब के मामले में अगर कांग्रेस पार्टी अभी भी स्टैंड नहीं लेती तो भविष्य में नुकसान हो सकता है। दूसरी तरफ खडूर साहिब के सांसद जसबीर सिंह डिपा अपने सहयोगी सांसदों के माध्यम से कांग्रेस की केंद्रीय हाईकमान से अपने बेटे गुरसंत उपदेश सिंह को टिकट दिलवाने के लिए डटे हुए हैं। इसी कारण शनिवार को जारी हुई 86 प्रत्याशियों की सूची में सिक्की का नाम नहीं आया था। खेमकरण से आज हो सकता है फैसला, गुरचेत सिंह भुल्लर को मिल सकता है टिकट
विस हलका खेमकरण से मौजूदा विधायक सुखपाल सिंह भुल्लर को टिकट मिलती है या उनके पिता व पूर्व मंत्री गुरचेत सिंह भुल्लर के नाम पर कांग्रेस दांव खेलती है, यह सोमवार को साफ होने की उम्मीद है। वर्ष 1992 में बसपा प्रत्याशी गोपाल सिंह को हराकर विधायक बनने वाले गुरचेत सिंह भुल्लर कांग्रेस की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। 1997 में भुल्लर 1154 मतों से प्रो. जगीर सिंह वरनाला (शिअद) से चुनाव हार गए थे। 2002 में भुल्लर ने शिअद के गुरदयाल सिंह अलगो को 4945 मतों से हराया था और कैप्टन की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। 2017 में कांग्रेस ने युवा को तरजीह देते हुए उनके बेटे सुखपाल भुल्लर को टिकट दिया था। सुखपाल विधायक तो बने, परंतु पिता गुरचेत भुल्लर व बड़े भाई अनूप सिंह भुल्लर का विश्वास जीतने में विफल रहे थे। ऐसे में पारिवारिक कलह के कारण खेमकरण की टिकट पर पेच फंसा हुआ है। सूत्रों की मानें तो इस बार गुरचेत सिंह भुल्लर को टिकट दिलाने में उनके बड़े बेटे अनूप सिंह भुल्लर अहम भूमिका निभा रहे हैं। सोमवार को टिकट पर मुहर लगने की संभावना है।