पुलिस के सर्वे में 70 नशा प्रभावित गांवों व शहरी क्षेत्रों की पहचान, रखी जाएगी कड़ी नजर
सीमावर्ती जिले को नशामुक्त बनाने के लिए पुलिस विभाग द्वारा करवाए गए सर्वे में 70 ऐसे गांवों की पहचान की गई है जो पूरी तरह ड्रग इफेक्टेड हैं। इन गांवों में फैले नशे की चेन तोड़ना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : सीमावर्ती जिले को नशामुक्त बनाने के लिए पुलिस विभाग द्वारा करवाए गए सर्वे में 70 ऐसे गांवों की पहचान की गई है जो पूरी तरह ड्रग इफेक्टेड हैं। इन गांवों में फैले नशे की चेन तोड़ना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि इन गांवों से नशा तस्करों की पुलिस ने सूची तैयार करनी शुरू कर दी है।
पुलिस के सर्वे के मुताबिक थाना गोइंदवाल साहिब, सदर तरनतारन, चोहला साहिब, थाना सिटी तरनतारन, वैरोंवाल, झब्बाल, सराय अमानत खां, भिखीविंड, खेमकरण, खालड़ा, वल्टोहा, कच्चा-पक्का, सदर पट्टी, सरहाली, हरिके पत्तन, सिटी पट्टी के गांव बी सी कैटागिरी में आते हैं। इन गांवों में लंबे समय से हेरोइन, अफीम, नशीली गोलियों व कैप्सूलों के अलावा अन्य प्रकार के ड्रग की खपत होता है। पुलिस अब इन गांवों से संबंधित लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमों का रिकार्ड खंगाल रही है। ए कैटेगरी के तस्करों, गैंगस्टरों, बी व सी कैटेगरी के तस्करों के संपर्क सूत्र कौन लोग हैं, इस बाबत एसपी (नारकोटिक्स) जगजीत सिंह वालिया, डीएसपी कमलजीत सिंह औलख, सीआइए स्टाफ तरनतारन इंचार्ज शिंदर सिंह पर आधारित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) गठित की गई है। पुलिस के मुताबिक इन थानों के अंतर्गत आते हैं इतने नशा प्रभावित गांव
थाना खालड़ा के सात गांव, थाना सदर पट्टी के आठ गांव, थाना कच्चा-पक्का के छह गांव, थाना भिखीविंड के आठ गांव, थाना खेमकरण के चार गांव, वल्टोहा के तीन गांव, थाना सदर के दो गांव, थाना हरिके के दो गांव, चोहला साहिब के दो गांव, झब्बाल के चार गांव है बदनाम। थाना सरहाली के चार गांव
विधानसभा हलका पट्टी में आते गांव सरहाली, शकरी, नौशहरा पन्नुआ में अवैध शराब की कशीदगी रोकने के लिए पुलिस के बड़े प्रयास भी विफल रहे हैं। इन गांवों के छप्पड़ों में से अकसर लाहन बरामद होती है जबकि अंतरराष्ट्रीय पहलवानों के गांव शेरों में भी हेरोइन का कारोबार बड़े स्तर पर होता है। पट्टी की इन बस्तियों में 14 साल में 30 की नशे से मौत
तरनतारन पट्टी रोड पर गांव लौहका अवैध शराब के लिए पूरी तरह से बदनाम है। पट्टी शहर की बस्ती धारा सिंह व सिंगल बस्ती को बी कैटेगरी में रखा गया है। इन दोनों बस्तियों में नशे के कारण 14 वर्ष के दौरान करीब 30 मौतें हो चुकी है। गोइंदवाल साहिब की यह बस्ती काफी बदनाम
एतिहासिक नगर गोइंदवाल साहिब की निम वाली घाटी से जानी जाती बस्ती काफी बदनाम है। यहां पर चिट्टे व हेरोइन की पुड़ियां बेची जाती हैं। गांव ख्वासपुर भले ही सैनिकों का गांव है, परंतु यहां पर नशा भी आम है। गांव भैल ढाए वाला दरिया ब्यास के किनारे है, यहां पर भी हेरोइन बेची जाती है। थाना वैरोंवाल को भी नशे की चुनौती
पुलिस विभाग द्वारा करवाए सर्वे की बात करें तो गांव नागोके, एकल गड्ढा, फतेहपुर बंदेशा, घग्गा व वैरोंवाल (बावियां) में हेरोइन बेचने वालों की सूची काफी लंबी है। इन गांवों में भी नशे से कई मौतें हो चुकी हें। सराय अमानत खां के चार गांव
भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ लगते गांव हवेलियां, नौशहरा ढाला, चीमा, भूसे ऐसे गांव है, यहां पर अंतरराष्ट्रीय तस्करों की भी सरगर्मी है। तरनतारन शहर के पांच क्षेत्र बने चुनौती
तरनतारन शहरी मुरादपुर कालोनी अवैध शराब से लेकर चिट्टे के कारोबार में काफी मशहूर है। गांव काजीकोट, ठट्ठी खारा में नशे की गोलियां, टीके, कैप्सूलों का कारोबार होता है। मोहल्ला नानकसर व मोहल्ला जसवंत सिंह वाला में हर प्रकार के नशे की होम डिलिवरी होती है। जिले को नशामुक्त करने के लिए गांवों और शहरों के विभिन्न क्षेत्रों का सर्वे करवाया गया था। इसमें नशे से इफेक्टेड गांवों के नाम सामने आए हैं। इन क्षेत्रों के तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस के पास बड़ा प्लान है। पुलिस के लिए यह क्षेत्र कोई चुनौती नहीं है। नशे पर काबू पाने में हर हाल में सफलता मिलेगी।
-ध्रुमन एच निंबाले, एसएसपी