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पीएम ने पंजाब के इस किसान की जमकर की तारीफ, इस बात से जीता मोदी का मन

पंजाब के तरनतारन जिले के गांव बुर्ज देवा सिंह के किसान गुरबचन सिंह की पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम मन की बात में तारीफ की। इससे गुरबचन के साथ-साथ पूरा गांव बागबाग है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 12:16 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 12:16 AM (IST)
पीएम ने पंजाब के इस किसान की जमकर की तारीफ, इस बात से जीता मोदी का मन
पीएम ने पंजाब के इस किसान की जमकर की तारीफ, इस बात से जीता मोदी का मन

तरनतारन, [धर्मबीर सिंह मल्हार]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में पंजा के एक किसान की जमकर तारीफ की। पराली न जलाने और इसके लिए दूसरों को प्रेरित करने के लिए पीएम मोदी ने जिले के गांव बुर्ज देवा सिंह के किसान गुरबचन सिंह की मिसाल दी। इससे गुरबचन के साथ-साथ पूरा गांव बागबाग है। लोगाें का कहना है कि गुरबचन ने गांव का नाम पूरे देश में रोशन कर दिया। गुरबचन खुद पराली नहीं जलाते हैं और प्रण ले रखा है कि अपने बच्‍चों का रिश्‍ता उसी गांव करेंगे जहां पराली नहीं जलाई जाती हो।

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प्रधानमंत्री की तारीफ सुन गुरबचन सिंह के साथ-सात पूरा गांव हुआ बागबाग

गुरबचन कहते हैैं कि प्रधानमंत्री द्वारा मेरा नाम लेना, मिसाल देना ही मेरे परिवार, गांव व क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा सम्मान है। अपने गांव के साथ ही आसपास के गांवों के लोग भी मुझे बधाइयां दे रहे हैैं। प्रधानमंत्री ने पंजाब के किसानों को जो संदेश दिया है वह अपने आप में मिसाल है।

अपने खेत में गुरबचन सिंह।

प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' में पराली न जलाने वाले किसान गुरबचन की दी मिसाल

बता दें कि गुरबचन पिछले 18 सालों से पराली नहीं जला रहे हैैं। उन्होंने दूसरे किसानों को भी पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया है। उन्‍इसके अलावा दो वर्ष पहले बड़े बेटे गुरदेव का रिश्ता इस शर्त पर तय किया कि बेटे की ससुराल वाले पराली नहीं जलाएंगे। अब गुरबचन ने अपनी इकलौती बेटी का रिश्ता भी जिस परिवार में तय किया है उसने पराली न जलाने की शपथ ली है। बेटी के ससुराल वालों को देने लिए हैपी सीडर मशीन भी खरीद रखी है।

गुरबचन की बेहतरीन कोशिशों के बारे में दैनिक जागरण ने बीते 9 अक्टूबर के अंक में खबर प्रकाशित की थी।

स्नातक की पढ़ाई करने वाले गुरबचन बताते हैैं कि 18 साल पहले धान की कटाई के बाद पराली को लगाई आग की लपटें आसमान में उठती देखी थी। इससे उनके मन को बहुत ठेस पहुंची। उन्हें लगा कि पराली जलाने से पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। तब से उन्होंने पराली जलाने से तौबा कर ली। पराली न जलाने से उन्हें यह लाभ हुआ कि कीटनाशक दवाइयों से फसलों को मुक्ति मिल गई। रासायनिक खाद की मात्रा भी आधी रह गई।

आर्गे‍निक खेती देखने रोजाना करीब 24 किसान पहुंचते हैैं गुरबचन के पास

गुरबचन बताते हैैं कि रोजाना करीब 20 से 24 किसान आर्गेनिक खेती देखने लिए उनके फार्म हाउस पर आते हैं। धान की कटाई के बाद हैपी सीडर मशीन से गेहूं की बिजाई उन्होंने पूर्व तहसीलदार सुखदेव सिंह निवासी कुत्तीवाल के खेतों में खुद करवाई थी। फसल की रिकार्ड पैदावार हुई थी। डिप्टी कमिश्नर प्रदीप सभ्रïवाल, जिला कृषि अधिकारी हङ्क्षरदरजीत सिंह, एसडीएम डॉ. अनुप्रीत कौर द्वारा गांव आकर उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

दस गांवों के किसानों के लिए बने मार्गदर्शक

गुरबचन आसपास के करीब दस गांवों के किसानों के लिए मार्गदर्शक का कार्य कर रहे हैैं। गांव अलीपुर, रत्तागुदा, प्रिंगड़ी, हथाड़, बूह, हथाड़ हवेलिया, बूह हथाड़, नबीपुर, जिणोके और बुर्ज देवा सिंह के किसान गुरबचन की प्रेरणा से आर्गेनिक खेती को अडॉप्ट कर चुके हैं।

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किसान जसकरन सिंह, हरदेव सिंह, हरभेज सिंह, जगबीर सिंह, राजबरिंदर सिंह, डॉ. दलजीत सिंह ने बताया कि पराली को न जलाने से बहुत ज्यादा लाभ हो रहा है। गेहूं और धान की फसल के लिए रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड (कीटनाशक) का प्रयोग नहीं करना पड़ रहा। आर्गेनिक खेती से धान व गेहूं के साथ ही मक्की, मटर और सब्जियों की फसलें भी प्राप्त की जा रही हैं।


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