पंजाब में जहरीला जाम: माफिया के डर से जुबान नहीं खोल रहे लोग, कुछ को पोल खुलने का डर
पंजाब में जहरीली शराब से 122 माैतों के बाद दहशत में हैं। राज्य में लोग शराब माफिया की दहशत के कारण अपनी जुबान नहीं खोल रहे हैं।
तरनतारन, [धर्मबीर सिंह मल्हार]। पंजाब के तीन जिलों में जहरीली शराब से मौतों के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? यह पता लगाने लिए भले ही राज्य सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हों, लेकिन मृतकों के परिवार के लोगों को न तो इंसाफ की उम्मीद है और न ही मुआवजा मिलने की संभावना। क्षेत्र में शराब माफिया की दहशत के चलते मृतकों के परिवार के लोग अपनी जुबान खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि जहरीली शराब से मरने वाले 50 से अधिक लोगों का उनके स्वजन पोस्टमार्टम ही नहीं करवाया गया। वहीं, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो खुद इस धंधे में शामिल हैं। उन्हें अपनी पोल खुलने का डर है।
कुछ माफिया के डर के मारे जुबां नहीं खोलते तो कुछ घर में खुद बनाते थे शराब
गांव पंडोरी गोला से जहरीली शराब गांव-गांव तक पहुंचाई गई। गांव मल्लमोहरी व पंडोरी गोला में दो ऐसे परिवार हैं, जिसके पिता और पुत्र की चिता एक साथ जली। जांच के आदेश के अलावा सरकार ने जहरीली शराब पीकर मरने वालों के परिवारों को पहले एक लाख व फिर दो लाख का मुआवजा देने की घोषणा की थी। कुल मिलाकर जिले में 94 लोगों की जहरीली शराब से मौत हो गई थी।
सरकार की ओर से घोषित मुआवजा राशि लेना भी नहीं होगा आसान
मुआवजा राशि के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट की अहम भूमिका रहेगी। शराब माफिया की दहशत का नतीजा यह है कि 50 से अधिक परिवारों ने कानूनी झमेले से दूर रहते हुए मृतकों के पोस्टमार्टम नहीं करवाए। जिले में दो दिन में केवल 34 मृतकों के ही पोस्टमार्टम हुए हैं। सूत्रों के अनुसार ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कानूनी कार्रवाई में यह बताया जाना था कि आखिर जहरीली शराब कहां से खरीदी गई।
गांव में सरेआम शराब बेची जा रही है। मौत का कारोबार करने वाले इन लोगों को पुलिस का भी खौफ नहीं है। इसलिए अधिकतर परिवारों ने कानूनी कार्रवाई से अपने हाथ खींच लिए। इन परिवारों को डर था कि पोस्टमार्टम के लिए बयान देने मौके अगर पूछा गया कि जहरीला जाम कहा से खरीदा था, तो शराब माफिया से साथ दुश्मनी पड़ सकती है। मेहनत मजदूरी करके 300-400 रुपये दिहाड़ी कमाने वाले यह लोग आर्थिक तौर पर इतने कमजोर हैं कि शराब माफिया का सामना करना इनके बस की बात नहीं।
पुलिस ने ब्लॉक कांग्रेस नेता को गिरफ्तार किया है। गांव पंडोरी गोला के ट्रांसपोर्टर सतनाम सिंह रंधावा का कहना है कि शराब माफिया के साथ दुश्मनी पाना गरीब वर्ग के लोगों की बस की बात नहीं।गांव पंडोरी गोला में जहरीली शराब से 11 मौतें हुई है, लेकिन शराब माफिया के डर कारण छह परिवारों ने मृतकों के पोस्टमार्टम ही नहीं करवाए।
छह माह तक लटकी रहती है पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
सरकारी अस्पतालों में होने वाले पोस्टमार्टम की रिपोर्ट खरड़ लैब से मंगवाई जाती है। शराब पीकर मरने वाले लोगों के विसरे जांच के लिए इसी लैब में भेजे जाने हैं। आम तौर पर शराब पीकर मरने वाले लोगों व धारा 174 की कार्रवाई में करवाए गए पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट चार से छह माह तक लटकी रहती है।
प्रशासन की टीम बना रही रिपोर्ट: एसडीएम
एसडीएम रजनीश अरोड़ा का कहना है कि जहरीली शराब से मरने वाले लोगों के परिवारों को सरकार दो-दो लाख का मुआवजा देगी।यह मुआवजा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही दिया जाना है या बिना रिपोर्ट के, इस बारे में अभी सरकार की ओर से दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए। प्रशासन की टीम शराब पीकर मरने वालों की रिपोर्ट तैयार करेगी।
लोग बिना डरे शिकायत करें: एसएसपी
तरनतारन के एसएसपी ध्रुमन एच. निंबले का कहना है कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। वे खुलकर अवैध शराब के धंधे में शामिल लोगों के खिलाफ शिकायत करें। पुलिस कार्रवाई करेगी। शिकायत करने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा। जरूरत हुई तो सुरक्षा भी दी जाएगी।
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