पराली जलाने के 2620 मामलों में अब तक सिर्फ पर एफआइआर
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सख्त निर्देशों के बावजूद किसान खेतों में पराली जला रहे हैं।
जागरण संवाददाता, तरनतारन: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सख्त निर्देशों के बावजूद किसान खेतों में पराली जला रहे हैं। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) की ओर से जिले में सेटालाइट के माध्यम से अब तक 2620 जगह पराली जलाने की सूचनाएं मिल चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर मामले सिर्फ पांच ही दर्ज किए गए हैं। हालांकि 1,437 जगह विभागीय टीमों ने पहुंचकर 5.30 लाख रुपये जुर्माना भी वसूला है, लेकिन यह कार्रवाई भी ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है।
एनजीटी के आदेश पर पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई लिए जिले भर में प्रशासन द्वारा 506 नोडल अधिकारी व 74 कलस्टर अफसर तैनात किए गए है। इसके बावजूद पीपीसीबी की सूचना पर कृषि विभाग के अधिकारी मौके पर मुआयना करने नहीं जाते। न ही नोडल अफसर व कलस्टर अफसर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पराली की धुएं से हुए हादसे में जा चुकी है एक जान
पराली को आग लगाने के कारण हुए धुएं के कारण गांव लालूघुंमण के पास एक सप्ताह पहले सड़क हादसा हुआ था। इसमें गांव कोट धर्म चंद खुर्द निवासी बाइक सवार मजदूर गुरमेज सिंह की मौत हो गई थी, जबकि उसका बेटा अजयपाल सिंह गंभीर घायल हुआ था। पंचायतें भी केवल प्रस्ताव पारित करने तक सीमत
पराली को आग लगाने वाले किसानों की शिकायत करना पंचायत की जिम्मेदारी होती है, परंतु सियासी दखल के चलते कोई भी पंचायत पुलिस और सिविल प्रशासन को शिकायत नहीं करती। हालांकि जिले की 575 पंचायतों में से 1482 पंचायतों ने पराली को आग न लगाने के प्रस्ताव पारित किए हैं। एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा का कहना है सरकार को चाहिए कि किसानों की मुश्किलों को समझते पराली न जलाने पर उनको मुआवजा राशि दी जाए। शिकायत आने पर ही होगी एफआइआर: एसएसपी
एसएसपी ध्रुमन एच निंबाले ने कहा कि पराली को आग लगाने पर मामला दर्ज करने में पुलिस लापरवाह नहीं है। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा जब भी इस बाबत लिखित पत्र जारी किया जाता है तो तुरंत एफआइआर दर्ज हो जाती है। इस मामले में पंचायतों को भी भूमिका अदा करनी चाहिए। लापरवाही बर्दाशत नहीं होगी: डीसी
डीसी कुलवंत सिंह धूरी ने कहा कि अब तक पराली को आग लगाने के 2620 मामले सामने आने के बावजूद प्रशासन की टीमों द्वारा 1437 खेतों में ही विजिट की गई है। बाकी में क्यों नहीं, इस बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों से जवाब लिया जाएगा। मामले में लापरवाही बर्दाशत नहीं होगी।