संक्रमित होने पर भी कम नहीं हुआ मनोबल, अब दूसरों को भी दे रहे हैं हौसला
जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह सिविल अस्पताल तरनतारन के एसएमओ का चार्ज डॉ. रोहित महिता ने संभाला तो उस समय कोरोना का दौर चर्म सीमा पर था।
जासं, तरनतारन : जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह सिविल अस्पताल तरनतारन के एसएमओ का चार्ज डॉ. रोहित महिता ने संभाला तो उस समय कोरोना का दौर चर्म सीमा पर था। इएनटी माहिर डॉ. महिता ने पूरे स्टाफ का मनोबल बढ़ाने के लिए आइसोलेशन वार्ड में जाकर कोरोना मरीजों से राबता बनाते हुए उनका हौंसला बढ़ाना शुरू किया था। इस दौरान वह खुद 28 अगस्त को कोरोना संक्रमित हो गए। पर इसके बावजूद उन्होंने हौंसला नहीं छोड़ा। 17 दिन तक होम क्वारंटाइन रहकर भी एसएमओ डॉ. रोहित महिता ने कोरोना मरीजों का हाल जानने के लिए वार्ड में तैनात स्टाफ को वीडियो कॉल के माध्यम से दिशा-निर्देश जारी रखे।
डॉ. महिता बताते हैं कि कोरोना संक्रमित होने कारण भले ही मैं मेडिकल लीव पर था, परंतु मेरा जमीर और ध्यान सिविल अस्पताल में ही रहता था। प्रत्येक दिन में कितने नए मरीज आए, कितने तंदरुस्त हुए। यह सारा बयोरा लगातार लेता रहा। उन्होंने बताया कि खांसी और जुकाम की मामूली शिकायत पर रैपिड टेस्ट करवाया था। जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। परंतु मनोबल नहीं गिरने दिया। होम क्वारंटाइन होने के बावजूद योग करना रोजमरा जिंदगी का अहम हिस्सा रहा। गर्म पानी का सेवन, काड़ा, मल्टी विटामिन लेने के साथ पूरा दिन अपने कमरे में हंसना, खेलना जारी रखा। डॉ. रोहित महिता ने बताया 14 सितंबर से फिर सिविल अस्पताल में अपनी सेवाएं संभालते हुए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना मरीजों की सेवा में डटे हुए है। व्यस्तता के बावजूद भी मरीजों से बनाए रखा है संपर्क
डॉ. महिता कहते हैं कि बतौर एसएमओ अस्पताल की सुपरविजन करने, सिविल सर्जन, डीसी, विधायक साहिबानों के साथ बैठक करने के अलावा अस्पताल में आने वाले उन मरीजों की भी जांच करते है जो कान, नाक व गले के रोगों से पीड़ित होते हैं। उनका कहना है कि सारा दिन मास्क पहनने, शरीरिक दूरी का पालन करने व दिन भर में छह से दस बार सही ढंग से हाथ साफ करना ही कोरोना का सबसे बड़ा इलाज है।