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चार वर्षीय मासूम के साथ दो किशोर भाइयों ने किया दुष्कर्म

। पश्चिमी सभ्याचार के प्रभाव के चलते मानवता को शर्मसार करने वाली एक ऐसी घटना सामने आई है जिसे सुनकर किसी के भी पैरों तले जमीन खिसक जाए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 07:12 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 07:12 PM (IST)
चार वर्षीय मासूम के साथ दो 
किशोर भाइयों ने किया दुष्कर्म
चार वर्षीय मासूम के साथ दो किशोर भाइयों ने किया दुष्कर्म

जागरण संवाददाता, तरनतारन : पश्चिमी सभ्याचार के प्रभाव के चलते मानवता को शर्मसार करने वाली एक ऐसी घटना सामने आई है जिसे सुनकर किसी के भी पैरों तले जमीन खिसक जाए।

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पड़ोसी की चार साल की मासूम बच्ची को घर से थोड़ी दूर खाली प्लाट में ले जाकर एक किशोर ने बुआ के बेटे के साथ उसकी इज्जत को तार-तार कर दिया। घर में बच्ची जब नहीं दिखी तो उसे ढूंढते हुए मां प्लाट की ओर गई। वहां पर लहूलुहान हालत में चीख रही लड़की को देखकर वह बेहोश हो गई। इतने में दोनों आरोपित फरार हो गए।

सात नवंबर की इस घटना पर ग्रामीणों ने पर्दा डालने का काफी प्रयास किया। आखिर मामला पुलिस के पास पहुंचा तो थाना सदर में एफआइआर दर्ज की गई।

विस हलका खडूर साहिब में आते गांव में हुई इस शर्मनाक घटना को छिपाने के लिए किशोरों के स्वजनों ने बहुत कोशिशें कीं। उधर, पीड़ित बच्ची को घर लाकर महिला ने पति को घटना की जानकारी दी। मामला पुलिस के पास न पहुंचे इसके लिए मासूम के पिता को पहले लालच दिया गया, फिर धमकियां दी गई। करीब 18 दिन गुजर जाने के बाद बच्ची को उसका पिता लेकर डीसी कार्यालय पहुंचा। डीसी कुलवंत सिंह धूरी ने एसएसपी ध्रुमन एच निंबाले से फोन पर बात करके परिवार को उनके पास भेज दिया।

एसएसपी निंबाले ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सखी वन स्टाप सेंटर इंचार्ज इंस्पेक्टर परमजीत कौर को मौके पर बुलाकर कार्रवाई के आदेश दिए। बच्ची का सिविल अस्पताल से मेडिकल करवा आरोपित दो किशोर भाइयों के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज किया गया। एसएसपी ने बताया कि घटना को अंजाम देने वाले दोनों लड़के 11 से 12 वर्ष की आयु के हैं। उनको वीरवार को जुवेनाइल अदालत में पेश किया गया। जिसके बाद उनका मेडिकल करवाकर बाल सुधार गृह फरीदकोट भेजा जा रहा है। इंटरनेट मीडिया के कारण हो रही ऐसी घटनाएं

मनोचिकित्सक डा. राणा रणबीर सिंह कहते हैं कि इंटरनेट मीडिया के कारण छोटी आयु में ही बच्चों की मानसिक प्रवृति खराब हो रही है। भाग दौड़ के दौर में मां-बाप के पास बच्चों के लिए पैसा तो है, परंतु संस्कार सिखाने के लिए समय नहीं। बच्चों को स्मार्ट फोन थमाने से पहले माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे यह भी ध्यान रखें कि बच्चे इसका कैसे प्रयोग कर रहे हैं।


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