कॉपी..पराली न जलाने वाले किसानों को केंद्र दे पांच हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा: सांसद
सांसद डिंपा ने लोकसभा में किसानों की मांग उठाई है।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन: पंजाब कृषि प्रधान प्रदेश है, यहां के किसान पूरे देश का पेट भरते है, परंतु किसानों को यहां कई समस्याएं आती है। पराली जलाने का मुद्दा बहुत गंभीर हो चुका है। पराली न जलाने वाले किसानों को प्रदेश की कैप्टन सरकार द्वारा 2500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जा रहा है। केंद्र को चाहिए कि इन किसानों को पांच हजार प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए।
लोकसभा हलका खडूर साहिब के सांसद जसबीर सिंह डिंपा ने यह मांग सोमवार को संसद में उठाई। उन्होंने कहा कि उत्तरी भारत में प्रदूषण बढ़ना चिंता का विषय है, परंतु इसके लिए केवल पंजाब को ही जिम्मेदार करार नहीं दिया जा सकता। सांसद डिंपा ने श्री गुरु नानक देव जी के उपदेश का जिक्र करते हुए कहा कि पानी, धरती और पर्यावरण के बाबत गुरु जी ने जो संदेश दिया था, उस पर चलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पराली न जलाने पर पंजाब की कैप्टन सरकार द्वारा किसानों को 2500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जा रहा है, इसमें केंद्र का भी कर्तव्य बनता है कि वे पांच हजार प्रति एकड़ के हिसाब से तुरंत मुआवजा जारी करें। सांसद डिंपा ने कहा कि केंद्र की ओर से करीब 80 कृषि युक्त औजार किसानों को सब्सिडी पर दिए जा रहे हैं। इन औजारों की संख्या बढ़ाकर दस हजार की जाए, जबकि 50 प्रतिशत दी जाती सब्सिडी को बढ़ाकर 80 प्रतिशत किया जाना चाहिए ताकि देश का पेट भरने वाला किसान आर्थिक तौर पर कमजोर न होते हुए खुद अपने पैरों पर खड़ा हो सके।