सिविल अस्पताल में सर्दियों में मरीजों को नहीं लगेगी ठंड, दिए जाएंगे कंबल और लगेंगे हीटर और गीजर
जिले में लोगों को सरकार की ओर बेहतर सेहत सुविधाएं मुहैया करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : जिले में लोगों को सरकार की ओर बेहतर सेहत सुविधाएं मुहैया करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। इसी कारण मरीजों का रूझान सिविल अस्पताल में इलाज करवाने की ओर बढ़ रहा है। अस्पताल में मरीजों डाक्टरों और स्टाफ का व्यवहार मरीजों के प्रति बेहतर हो तो मरीज का दर्द अपने आप कम हो जाता है। इसी तर्ज पर चलते हुए मरीजों की दिन-रात सेवा की जा रही है। नतीजा यह है कि सिविल अस्पताल में प्रत्येक दिन में 700 से अधिक मरीजों की रजिस्ट्रेशन हो रही है। ये बातें सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल अफसर (एसएमओ) डा. स्वर्णजीत धवन ने दैनिक जागरण के साथ साक्षात्कार के दौरान कहीं। पेश हैं उनसे बातचीत के अंश। सवाल : कहा जाता है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों के साथ लूट होती है, क्या यह सही है?
जवाब : जी नहीं, सरकारी अस्पतालों में तैनात डाक्टर से लेकर निचले दर्जे तक का सारा अमला सरकार के प्रति जवाबदेह होता है। बड़ी-बड़ी डिग्रिया करके जब कोई डाक्टर बनता है तो मन में कोई लालच नहीं होता, बल्कि लोक सेवा का उद्देश्य लेकर ही सेहत विभाग के साथ जुड़ जाता है। सरकारी अस्पतालों में अच्छे प्रबंध होने के चलते ही मरीजों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ रहा है। कोई भी डाक्टर मरीज का इलाज करने के मामले में न तो लापरवाह होता है और न ही बदनीयत। कुछ लोग निजी फायदा लेने के लिए सरकारी अस्पतालों की ओर बेवजह ऊंगलिया उठाते हैं। सवाल : कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए क्या प्रबंध किए जा रहे हैं?
जवाब : सेहत विभाग द्वारा प्रत्येक दिन में 20 से 30 कैंप लगाकर 15 से 20 हजार लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। सिविल अस्पताल में आक्सीजन की कमी को दूर करने लिए बकायदा आक्सीजन प्लाट लगाया जा रहा है। इसके चालू होते ही सरकारी अस्पताल के अलावा जिले से संबंधित विभिन्न निजी अस्पतालों को भी आक्सीजन आसानी से मिलेगी। कोविड मरीजों के लिए 130 बेड का बंदोबस्त किया गया है। जबकि नए कंटेनर लगाकर 24 ओर बेड लगा दिए गए हैं। इसी तरह जिले भर में पाच लाख से अधिक लोगों को कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण किया जा चुका है। सवाल : सरकारी अस्पताल में डाक्टरों की कमी बाबत आए दिन शोर मचता है, इसमें आखिर सच्चाई क्या है?
जवाब : सिविल अस्पताल में डाक्टरों की कोई कमी नहीं है। जिला स्तरीय अस्पताल में 23 डाक्टरों की तैनाती है। जिनमें दो आरथो सर्जन, तीन ईएनटी, दो मेडिसन, एक सर्जन, तीन गयानी, तीन पथेलोजिस्ट के अलावा सकिन, टीबी, चैस्ट, दातों से संबंधित डाक्टर तैनात है। जबकि मनो रोगों के माहिर डाक्टर भी अस्पताल में तैनात है। सिविल अस्पताल में 24 घटे एमरजेंसी सेवाएं, ब्लड बैंक सेवाएं, जच्चा-बच्चा सेवाएं मिलती है। यहा पर मुफ्त डिलीवरी के अलावा बच्चों का टीकाकरण, परिवार नियोजन सेवाएं दी जाती हैं। टीबी और कुष्ठ रोग का निश्शुल्क इलाज तो होता ही है। साथ ही आयुष्मान सरबत बीमा योजना के तहत भी जरूरतमंदों को सेवाएं दी जा रही हैं। सवाल : सर्दी के मौसम में मरीजों के लिए कोई ठोस नीति है तो बताएं?
जवाब : जाहिर है कि सिविल अस्पताल में इलाज करवाने आने वाले मरीजों की आíथक हालत कमजोर होगी या फिर वह मध्य वर्ग से संबंधित होंगे। ऐसे में अमीर परिवार निजी अस्पतालों का रुख करते हैं। हमने सिविल अस्पताल में मरीजों के सभी वार्डो में हाथ धोने और नहाने के लिए गर्म पानी के लिए गीजर लगवा दिए हैं। सर्दी से बचाव के लिए मरीजों के लिए हर वार्ड में कंबल, रूम हीटर की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही 24 घंटे बिजली सप्लाई को हाटलाइन से जोड़ा गया है। वार्डो में पर्दे लगाए गए हैं। मरीजों के सभी बेडों पर रंग-बिरंगी लाइट चादरें बिछाई जाती है। उसे लगातार बदला भी जाता है। वहां पर हर बेड के पास सूची लगाई है। उस पर दिन के हिसाब से चादरों का रंग लिखा गया है। इसी कारण इसमें लापरवाही जल्द पकड़ में आ जाएगी और मरीज को भी पता लग जाएगा कि चादर बदली है या नहीं। सवाल : महीने में कितने मरीजों को सिविल अस्पताल में मिलती है सेवाएं?
जवाब : एक माह के दौरान 15 हजार से अधिक नए मरीजों की ओपीडी होती है जबकि दो हजार से अधिक पुराने मरीज इलाज के लिए आते हैं। प्रत्येक माह में 900 से 1000 मरीजों को दाखिल किया जाता है। इमरजेंसी सेवाओं के लिए 120 से 150 मरीजों को दाखिल किया जाता है। 300 से अधिक छोटे, 170 के करीब बड़े आपरेशन होते हैं। इसी तरह 200 से 250 के करीब डिलीवरी होती है। 600 से अधिक एक्सरे, 500 से अधिक ईसीजी, 500 से अधिक अल्ट्रासाउंड व 29 हजार से लेकर 32 हजार तक लैब टेस्ट होते हैं।