शहीद नायक सूबेदार परमजीत की यादगार नहीं बना पाई सरकार
समय की सरकारें शहीद के परिवार के साथ सारी उम्र दुख-सुख बांटने का आश्वासन तो देती है परंतु इसपर कोई खरा नहीं उतरती।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : समय की सरकारें शहीद के परिवार के साथ सारी उम्र दुख-सुख बांटने का आश्वासन तो देती है, परंतु इसपर कोई खरा नहीं उतरती। ऐसी ही मिसाल खडूर साहिब के गांव वेईपुई में देखने को मिलती है, जहां शहीद नायक सूबेदार परमजीत सिंह की यादगार अधूरी पड़ी है। यह यादगार पांच वर्ष के दौरान भी मुकम्मल नहीं हो पाई। दुख की बात ये है कि शहीद के परिवार के साथ किए गए वादे भी वफा नहीं हुए।
गांव वेईपूई निवासी नायब सूबेदार परमजीत सिंह जम्मू-कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में 22 सिख रेजिमेंट में ड्यूटी पर तैनात थे। उनको एक मई 2017 को पाक सैनिकों द्वारा धोखे से शहीद कर दिया गया था। पाक सैनिकों ने नायब सूबेदार का सिर कलम कर दिया था, जिसे वह अपने साथ ले गए थे। शहादत के बाद राज्य सरकार ने शहीद के परिवार को शहरी क्षेत्र में रिहायश के लिए प्लाट देने, गैस एजेंसी या पेट्रोल पंप देने का वादा किया था। इतना ही नहीं शहीद के नाम पर गांव में खेल स्टेडियम बनाने का भी वादा किया था। शहीद की पत्नी परमजीत कौर ने अपनी बेटी सिमरनदीप कौर, खुशदीप कौर, बेटे साहिलदीप सिंह की मौजूदगी में बताया कि शहीद का जिस जगह पर अंतिम संस्कार किया गया था, वहां पर अभी तक यादगार भी मुकम्मल नहीं हो पाई और न ही गांव में खेल स्टेडियम बन पाया है। शहीद के बेटे साहिलदीप सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा पेट्रोल पंप या गैस एजेंसी देने का वादा भी अधूरा है। शहरी क्षेत्र में परिवार को वादे मुताबिक रिहायश के लिए प्लाट भी नहीं दिया गया। शहीदों की कुर्बानी की कदर करें सरकार
नायब सूबेदार परमजीत सिंह के पिता उधम सिंह, भाई रणजीत सिंह, चरनजीत सिंह ने कहा कि सैनिकों की आए दिन शहादत हो रही है। मगर न तो केंद्र सरकार शहीदों के परिवारों के साथ किए गए वादे पूरे करती है और न ही राज्य सरकार। उन्होंने कहा कि गांव वेईपुई के सैनिक जसवीर सिंह के परिवार के साथ सोच समझकर ही वादा किया जाए, क्योंकि वादा न पूरे होने पर शहीद की कुर्बानी की कदर कम होती है।