अजीब त्रासदी का शिकार हुआ करनबीर, माता-पिता का साया उठा, अब तीन छोटे भाइयों से हुआ अलग
पंजाब के तरनतारन में 13 साल का करनबीर अजीब त्रासदी का शिकार हो गया। जहरीली शराब से माता-पिता की मौत हो गई। अब स्वजनों ने अपनाने से इन्कार कर दिया व तीन छोटे भाइयों से अलग हो गया।
तरनतारन, [धर्मबीर सिंह मल्हार]। जिले के गांव मुरादपुरा का 13 साल एक लड़का अजीब त्रासदी का शिकार हो गया। तकदीर ने उसके साथ अचानक उसका सब कुछ छीन लिया। पहले जहरीली शराब के कारण करनबीर सिंह के माता-पिता की मौत हाे गई और अब उसका अपने तीन छोटे भाइयों से भी साथ छूट गया है। समय काफी दुख लेकर आया है। स्वजनों ने उसके छोटे भाइयों को तो अपना लिया है, लेकिन करनबीर काे सहारा देने से इन्कार कर दिया है। पिता केे दो भाइयों ने उसे गोद लेने से इन्कार कर दिया है। अब करनबीर को बाल भलाई कमेटी ने फिलहाल होशियारपुर के चिल्ड्रन होम भेजने का फैसला किया है।
जहरीली शराब पीने से चार बच्चों के पिता की मौत के बाद मां ने भी तोड़ दिया था दम
बता दें कि जहरीली शराब पीने से मुरादपुरा के रिक्शा चालक सुखदेव सिंह की 30 जुलाई को मौत हो गई थी। उसकी मौत के दो घंटे बाद ही उसकी पत्नी ज्योति की भी हृदय गति रुकने से मौत हो गई। उनके चार मासूम बेटे करनबीर सिंह (13), गुरप्रीत सिंह (11), अर्शप्रीत सिंह (9) और संदीप सिंह (7) अनाथ हो गए। हालांकि इस दौरान फिल्म अदाकार सोनू सूद ने इन बच्चों को गोद लेने की इच्छा जताई थी, लेकिन अब तक उनकी ओर से कोई पहल नहीं हुई है।
पिता के दो चचेरे भाइयों ने सिर्फ तीन बच्चों को गोद लेने पर जताई सहमति
वहीं सुखदेव सिंह के दो चचेरे भाइयों मेवा सिंह व सतनाम सिंह ने भी बाल भलाई कमेटी के समक्ष पेश होकर बच्चों को गोद लेने की इच्छा जताई। बाल भलाई कमेटी चेयरमैन डॉ. दिनेश गुप्ता की अगुआई में बैठक हुई। इसमें गांव पंडोरी तख्तमल्ल के रहने वाले मेवा सिंह ने बताया कि उसकी एक बेटी है। वह गुरप्रीत सिंह और अर्शप्रीत सिंह को गोद लेना चाहते हैं। वहीं सतनाम सिंह ने बताया कि उसके तीन बच्चे शादीशुदा हैं और वह संदीप सिंह को गोद लेना चाहता है। इन सबके बीच करनबीर सिंह को गोद लेने की किसी ने इच्छा जाहिर नहीं की।
चाचा को नहीं मिली करनबीर को गोद लेने की मंजूरी
करनबीर को जब किसी ने गोद लेने की इच्छा नहीं जताई तो सुखदेव सिंह के छोटे भाई बलवीर सिंह ने करनबीर को गोद लेने की इच्छा जता दी, परंतु कमेटी ने उसका निवेदन ठुकरा दिया। कहा कि उसके पास न तो रहने के लिए घर है और न ही बच्चे की परवरिश के लिए साधन।
छोटे भाइयों को ठिकाना मिलने की खुशी और बिछुडऩे का गम
मासूम करनबीर सिंह को जब पता चला कि उसके तीनों भाइयों को ठिकाना मिल गया है तो उसके चेहरे पर कुछ पल के लिए मुस्कान खिल उठी। हालांकि कुछ ही देर बाद भावुक हो गया, क्योंकि उसे पता चल चुका था कि उसे अपने तीन छोटे भाइयों से भी अलग होना पड़ेगा।
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'' तीन बच्चों को मेवा सिंह व सतनाम सिंह के हवाले कर दिया गया है। करीब दो माह तक बाल भलाई अधिकारी राजेश कुमार की अगुआई में टीम देखरेख करेगी। माता छाया आश्रम आलमगढ़ (फाजिल्का) ने चारों बच्चों को गोद लेने की इच्छा जताई है। हालांकि इन बच्चों को गोद लेने का सबसे पहले हक रिश्तेदारों का होता है।
- डॉ. दिनेश गुप्ता, चेयरमैन, बाल भलाई कमेटी।