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कोरोना लील रहा जिंदगी, मई में टूटा रिकार्ड, 25 दिन में 163 लोगों का अंतिम संस्कार

कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। जिले में रोजाना संक्रमण से लोगों की मौत हो रही है। इसी कारण श्मशानघाटों में पिछले करीब चार माह से अंतिम संस्कार करने का काफी दबाव बढ़ गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 03:00 AM (IST)
कोरोना लील रहा जिंदगी, मई में टूटा रिकार्ड, 25 दिन में 163 लोगों का अंतिम संस्कार
कोरोना लील रहा जिंदगी, मई में टूटा रिकार्ड, 25 दिन में 163 लोगों का अंतिम संस्कार

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। जिले में रोजाना संक्रमण से लोगों की मौत हो रही है। इसी कारण श्मशानघाटों में पिछले करीब चार माह से अंतिम संस्कार करने का काफी दबाव बढ़ गया है। ऐसे में वहां के प्रबंधकों की तरफ से लोगों को शव का अंतिम संस्कार करने के बाद 24 घंटे में ही अस्थियां समेटने के लिए कहा जा रहा है।

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पुरातन समय में किसी व्यक्ति की मौत पर उसके भोग की रस्म 17 दिन बाद होती थी। हालांकि प्राणी के अंतिम संस्कार के बाद चौथे की रस्म चार दिन बाद होती थी। प्राणी की चिता को ठंडा करके अस्थियां चुगने की रस्म को चौथा कहा जाता है। शहर में कुल चार श्मशानघाट हैं। सबसे बड़ा श्मशानघाट महाराजा रणजीत सिंह स्कूल के समीप है। दूसरा दीप एवेन्यू कालोनी में है। मुरादपुर कालोनी में दो श्मशानघाट है, जिनमें से एक पानी वाली टंकी के पास और दूसरा अर्बन हेल्थ सेंटर के समीप है। फरवरी में कुल 126 लोगों के अंतिम संस्कार हुए। मार्च में 142, अप्रैल में 149 तक पहुंच गई। वहीं मई महीने की बात करें तो 25 तारीख तक ही 163 लोगों का अंतिम संस्कार हो चुका है।

महाराजा रणजीत सिंह स्कूल वाला श्मशानघाट सबसे बड़ा है। यहां पर एक साथ 12 शवों के अंतिम संस्कार किया जा सकता है। यहां कई बार अंतिम संस्कारों की संख्या अचानक बढ़ जाती है तो अस्थियां चुगने के लिए अधिक समय नहीं दिया जाता। श्मशानघाट के कर्मचारी प्राणी के स्वजनों को अंतिम संस्कार से पहले ही कहते है कि 24 घंटे के बीच अस्थियां चुगकर अंगीठे को ठंडा किया जाए ताकि अन्य शवों के अंतिम संस्कार में दिक्कत न आए। अगले ही दिन चुगी गई अस्थियां

मोहल्ला जसवंत सिंह वाला निवासी बुजुर्ग महिला सतपाल कौर का सोमवार को देहांत हो गया। सतपाल कौर के अंतिम संस्कार के लिए जब परिवार स्थानीय श्मशाघाट में पहुंचा तो पर्ची काटते हुए कर्मचारी ने कह दिया कि अस्थियां चुगने की रस्म तीन या चार दिनों के भीतर नहीं, बल्कि 24 घंटे में ही निभानी होगी। इसके चलते चौथे की रस्म अगले ही दिन (मंगलवार) को करनी पड़ी।

-जैसा कि सतपाल कौर के पुत्र तरसेम सिंह ने बताया) अंतिम संस्कारों की संख्या बढ़ने के कारण ही कहा जा रहा: बलविंदर

श्मशानघाट के कर्मचारी बलविदर सिंह का कहना है कि अंतिम संस्कार के लिए कई बार श्मशानघाट में जगह कम पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि किसी शव के अंतिम संस्कार के लिए मना नहीं किया जा सकता। चाहे वह किसी भी समुदाय से हो। अंतिम संस्कारों की संख्या अधिक होने पर यह कहा जाता है कि संस्कार के अगले दिन ही अस्थियां चुगने की रस्म पूरी की जाए।


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