कोरोना की दूसरी लहर के बाद तीसरी के लिए तैयार रहना सबसे बड़ी चुनौती
आने वाले समय में कोरोना की तीसरी लहर का मुकाबला भी हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा। यह कहना है तरनतारन जिले के सिविल सर्जन डा. रोहित मेहता का।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : हमारा देश अन्य देशों की तरह कोविड से एक वर्ष से जंग लड़ रहा है। अभी कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। इस महामारी को हराने के लिए सेहत विभाग वचनबद्ध है। आने वाले समय में कोरोना की तीसरी लहर का मुकाबला भी हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा। यह कहना है तरनतारन जिले के सिविल सर्जन डा. रोहित मेहता का। दैनिक जागरण से साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा कि कोविड को हराने के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी सेहत विभाग की होती है। इसके लिए हम शुरू से डटे हुए हैं। हम जानते हैं कि कोविड का मुकाबला करने के दौरान सेहत विभाग के कई कíमयों और अधिकारियों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है, परंतु हम पर जिम्मेदारी इतनी बड़ी है कि खुद को मुसीबत में डालकर यदि जनता को कोविड से बचा लें तो हमें इस जन्म में पुण्य जरूर मिलेगा। सवाल : कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर जिले में टेस्टिंग बहुत कम हो रही है, इतना ही नहीं टीकाकरण अभियान भी ढीला पड़ गया है?
जवाब : हा, आप ठीक बोल रहे हैं, परंतु इसमें सेहत विभाग की कोई भी लापरवाही नहीं है। साढ़े 12 लाख की आबादी पर निर्धारित जिला तरनतारन में प्रत्येक दिन में एक से डेढ़ हजार लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं। रही बात टीकाकरण अभियान की तो जिले में 1.04 लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) कíमयों द्वारा अचानक हड़ताल पर जाने के कारण डाटा अपडेट करने में समय लग रहा है। इसके चलते तीन दिन से जिले में टीकाकरण अभियान धीमा है। आने वाले दिनों में इसे तेज किया जाएगा। पंजाब में तरनतारन जिला टीकाकरण अभियान में 13वें नंबर पर है, जिसे 5-6 नंबर पर लाने का लक्ष्य लेकर काम किया जा रहा है। सवाल : कोरोना काल के दौरान जनरल मरीजों का क्या होगा?
जवाब : कोरोना का भले ही दूसरा दौर चल रहा है, परंतु सरकारी अस्पतालों के दरवाजे मरीजों के लिए खुले हैं। न तो स्टाफ की कमी है और न ही टेस्टों की। फिलहाल पूरे देश का फोकस कोविड पर है। सरकारी अस्पतालों में इन दिनों केवल डिलीवरी से संबंधित मरीजों की आमद हो रही है या फिर एक्सीडेंट केस आ रहे हैं। कोविड के चलते जनरल रोगों के मरीज अस्पताल में रोज देखे जाते है। जरूरत पड़ने पर उनके आपरेशन भी किए जाते हैं। आपरेशन से पहले मरीज का कोविड टेस्ट अनिवार्य किया गया है। टेस्ट रिपोर्ट आरटीपीसी ही ली जा रही है। सवाल : कोविड मरीजों के लिए तरनतारन जिले में कैसी व्यवस्था रहेगी?
जवाब : सिविल अस्पताल तरनतारन में लेवल-2 के मरीजों का उपचार किया जाता है। यहा पर 100 बेड वाला आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। फिलहाल वार्ड में 15 मरीज दाखिल हैं। आइसोलेशन वार्ड में केवल उन्हीं मरीजों को दाखिल किया जाता है, जो हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, अस्थमे व अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार होते हैं। इसके अलावा गुरु नानक देव सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में 137 बेड की व्यवस्था की गई है। लेवल-3 के मरीजों के लिए यहा पर पहले 13 बेड की व्यवस्था थी, अब 20 हो गए हैं। सवाल : कोरोना काल में यदि ब्लड बैंक में रक्त की कमी होगी तो क्या प्रबंध हैं?
जवाब : कोरोना काल में आम तौर पर रक्त की अधिक जरूरत नहीं होती, क्योंकि जनरल आपरेशन बहुत कम होते हैं। एक्सीडेंट के मामले सामने आने पर आम तौर पर ब्लड की जरूरत होती है। सिविल अस्पताल तरनतारन और पट्टी में दो ब्लड बैंक चलाए जा रहे हैं। एनजीओ संस्थाओं द्वारा रक्तदानी भेजे जा रहे हैं। निजी अस्पतालों में भी बिना देरी रक्त मुहैया करवाया जा रहा है। रही बात नेगेटिव ग्रुप की तो सेहत विभाग द्वारा एक सूची बनाई गई है, जिसमें इसी ब्लड ग्रुप से संबंधित रक्तदानियों के नाम और पते हैं। सवाल : होम क्वारंटाइन मरीजों पर कैसे रखते हैं नजर?
जवाब : होम क्वारंटाइन मरीजों को सेहत विभाग द्वारा घर जाकर फतेह किट मुहैया करवाई जाती है। साथ ही उसमें शामिल सामान के इस्तेमाल और सावधनियों के बारे में मरीज और उसके परिवार को अवगत करवाया जाता है। मरीजों का हाल जानने के लिए बकायदा सेहत विभाग की टीमें घरों में भी दस्तक देती हैं ताकि यकीनी बनाया जाए कि कोविड मरीज कहीं बाहर नहीं घूम रहा।