तरनतारन में हेल्थ कर्मियों की एक और बड़ी करतूत आई सामने, पढ़ें क्या किया..
कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) मीयांविड में छह दर्जा कर्मचारियों की फर्जी मौत के जाली दस्तावेज लगाकर उनके वारिसों को तरस के आधार पर नौकरी देने में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ था।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) मीयांविड में छह दर्जा कर्मचारियों की फर्जी मौत के जाली दस्तावेज लगाकर उनके वारिसों को तरस के आधार पर नौकरी देने में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ था। मार्च में दैनिक जागरण ने इसे उजागर किया तो सरकार ने सिविल सर्जन डा. रोहित मेहता की अगुआई में तीन सदस्यी टीम बनाई। इसकी जांच रिपोर्ट के बाद सेहत विभाग ने अस्पताल के एसएमओ समेत पांच कर्मियों को निलंबित किया था। जांच के दौरान नौकरी के फर्जीवाड़े को बेनकाब करने के बाद अब कुछ और सुबूत मिले हैं, जिसमें एक्सग्रेशिया ग्रांट के अलावा जनरल प्रोविडेट (जीपी) फंड और लीव एनकैशमेंट में भी करीब ढाई करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।
उस समय जांच टीम की रिपोर्ट के बाद बीती 18 मार्च को सेहत व परिवार भलाई विभाग के चीफ सचिव हुसन लाल ने अस्पताल के एसएमओ डा. नवीन खुंगर, सीनियर सहायक हरदविदर सिंह, रविदरपाल सिंह, सिविल सर्जन कार्यालय के सुपरिटेंडेंट दलजीत सिंह व सीनियर सहायक जसविदर सिंह को नौकरी से निलंबित करके चंडीगढ़ में उनका हेडक्वार्टर बना दिया था। हालांकि बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
अब सामने आया है कि मीयांविड में तैनात सीनियर सहायक हरदविदर सिंह और रविदरपाल सिंह ने विभाग की आंखों में धूल झोंकते हुए तहसील बाबा बकाला के गांव तिम्मोवाल निवासी सरवन सिंह को दो जनवरी 2021 को, गांव बाठ निवासी सुखबीर सिंह को, गांव लालपुरा निवासी जगतार सिंह, अमृतसर के मोहकमपुरा क्षेत्र निवासी गुरप्रीत सिंह, गांव लालपुरा के दविदर सिंह को तरस के आधार पर नौकरी दिलाई थी। इस फर्जीवाड़े में एसएमओ डा. नवीन खुंगर की भी मिलीभगत सामने आई है। जांच में पता चला है कि 21 जनवरी को एक-एक लाख के तीन, 25 फरवरी को एक-एक लाख के तीन चेक एक्सग्रेशिया ग्रांट के नाम पर सरकारी खजाने से निकलवाए गए थे। जीपी फंड में 11 मुलाजिमों के खातों से निकलवाई राशि
आरोपितों ने सरकार को चूना लगाने में कसर नहीं छोड़ी। जनरल प्रोविडेट (जीपी) फंड की बात करें तो कुल 11 मुलाजिमों के खातों से लाखों में राशि निकलवाई गई। 3 फरवरी 2020 को 17 लाख 97 हजार 78 रुपये, 30 जुलाई 2020 को 9 लाख 25 हजार व 6 लाख 61 हजार रुपये, 26 नवंबर 2020 को 4 लाख, 25 नवंबर 2020 को 25 लाख 46 हजार 339 रुपये, 24 फरवरी को 19 लाख 75 हजार 364 रुपये, 23 फरवरी को 6 लाख 16 हजार 195 रुपये व 11 लाख 6 हजार 975 रुपये निकलवाए गए। इसी तरह 25 फरवरी को 9 लाख की राशि अलग तौर पर निकलवाई गई। 18 दिसंबर 2019 को 3 लाख, 18 हजार, 805 रुपये के अलावा 32 लाख, 82 हजार 969 रुपये की राशि निकलवाई गई। 17 कर्मियों की लीव एनकैशमेंट की राशि का किया गबन
रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपितों ने कुल 17 मुलाजिमों के खातों से लीव एनकैशमेंट की राशि पर हाथ साफ किया। 21 जनवरी 2020 को 5 लाख 46 हजार 570 रुपये, 5 फरवरी को 4 लाख 8 हजार 810 रुपये व इसी दिन अलग खाते से 4 लाख 45 हजार 450 रुपये, 17 फरवरी को 14 लाख 640 रुपये, 29 मई को 6 लाख 15 हजार 940 रुपये, 7 जुलाई को 3 लाख 32 हजार 890 रुपये व एक अन्य खाते से 7 लाख 41 हजार 890 रुपये निकलवाए गए। 15 फरवरी को 6 लाख 52 हजार 840 रुपये के अलावा अन्य खाते से 4 लाख 40 हजार 830 रुपये निकलवाए गए। 18 दिसंबर को 7 लाख 26 हजार 850 रुपये, 30 दिसंबर को 4 लाख 30 हजार 60 रुपये, 15 दिसंबर को 9 लाख 21 हजार 870 रुपये व अन्य खाते से 7 लाख 72 हजार 890 रुपये, 5 जनवरी 2021 को 4 लाख 73 हजार 680 रुपये व अन्य खाते से 4 लाख 8 हजार 810 रुपये निकलवाए गए। वहीं सेवानिवृत्त कर्मचारी के खाते से 8 लाख 57 हजार 760 रुपये व सेवानिवृत्त महिला कर्मचारी के खाते से 6 लाख 8 हजार 300 रुपये की राशि का गबन हुआ है। सीसीटीवी कैमरों के नाम पर भी घपलेबाजी
एसएमओ डा. नवीन खुंगर ने सीएचसी में लगे सीसीटीवी कैमरों के नाम पर 18 हजार 470 रुपये दिसंबर 2020 में निकलवाए थे। हालांकि सीएचसी में पहले से ही कैमरे लगे हुए हैं। साफ-सफाई के नाम पर कायाकल्प कार्यक्रम के तहत 35 हजार की राशि हड़पने का मामला भी सामने आया है। हालांकि डा. नवीन खुंगर ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है। अब चंडीगढ़ कार्यालय करेगा आगे की कार्रवाई
सिविल सर्जन डा. रोहित मेहता ने कहा कि विभाग के आदेश पर उन्होंने तीन मेंबरी पैनल बनाकर नौकरी के फर्जीवाड़ा मामले में अपनी रिपोर्ट चंडीगढ़ कार्यालय भेज दी थी। इसके बाद अब सेहत और परिवार भलाई विभाग की ओर से आगे की कार्रवाई की जानी है।