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आठ वर्ष बाद जिला तरनतारन ग्रीन सेफ घोषित, सड़क हादसों में 50 फीसद आई कमी

सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए लंबे समय से चल रहे अभियान के तहत आठ वर्ष के बाद जिला तरनतारन ग्रीन सेफ घोषित किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 08:00 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 08:00 PM (IST)
आठ वर्ष बाद जिला तरनतारन ग्रीन सेफ घोषित, सड़क हादसों में 50 फीसद आई कमी
आठ वर्ष बाद जिला तरनतारन ग्रीन सेफ घोषित, सड़क हादसों में 50 फीसद आई कमी

जागरण संवाददाता, तरनतारन : सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए लंबे समय से चल रहे अभियान के तहत आठ वर्ष के बाद जिला तरनतारन ग्रीन सेफ घोषित किया गया है। जिले में पिछले वर्ष के मुकाबले में 50 फीसद सड़क हादसे कम हुए हैं।

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जिले के उन प्वाइंटों को पुलिस प्रशासन ने केंद्रित किया, जहां पर अकसर सड़क हादसे होते थे। एसपी (ट्रैफिक) बलजीत सिंह ढिल्लों की अगुआई में जिले भर में ट्रैफिक जागरूकता बाबत 86 सेमिनार लगाए गए। इनमें 1955 लोगों ने भाग लिया। सर्दी में धुंध के कारण एक्सीडेंट रोकने के लिए ट्रक, आटो, रिक्शा व अन्य वाहनों पर रिफलेक्टर लगाए गए व चालकों को जागरूक करने के साथ-साथ उनकी नजर चैक की गई। रोड सेफ्टी इंजीनियर आदित्य मंगोत्रा की अगुआई में डिवाइडर व जेब्रा क्रासिग की जगह निर्धारित की गई। साथ ही ओवरस्पीड को कम करने के लिए राष्ट्रीय मार्ग व स्टेट मार्ग पर स्पीड रडार लगाए गए।

एसएसपी ध्रुमन एच निबाले ने बताया कि बेसहारा पशुओं से हादसे न हों, इसके लिए उनकी गर्दन पर रिफलेक्टर लगाने की मुहिम चलाई गई। सड़कों पर बेरिकेडिग की गई। एसएसपी ने बताया कि वर्ष 2019-20 में जिले में 184 सड़क हादसे हुए जबकि 169 लोगों की मौत व 102 लोग घायल हो गए थे। ट्रैफिक पुलिस की ओर से जागरूकता अभियान के तहत जिले में सड़क हादसों में काफी कमी दर्ज की गई। एक अगस्त 2020 से लेकर (2019-20 के मुकाबले) इस बार जिले में 89 सड़क हादसे हुए हैं। जिनमें 66 लोगों की मौत हुई, जबकि 64 लोग घायल हुए। एसएसपी निबाले ने बताया कि आठ वर्ष बाद जिला तरनतारन राज्य भर में ग्रीन सेफ घोषित हुआ है। उन्होंने बताया कि 10 लाख की आबादी के पीछे जिस जिले में 75 के करीब मौतें होती है, वह जिला ग्रीन जिले में आता है। एसएसपी ने बताया कि 2019-20 में पूरे देश में सड़क हादसों में एक लाख, 51 हजार, 113 लोगों की मौत हुई थी। लोगों के जागरूक होने से सड़क हादसे अब कम होने लगे हैं।


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