जीवन में कमाने चाहिए पुण्य व अच्छे कर्म: महासाध्वी समर्थ
मानव जीवन बड़ी मुश्किल से नसीब होता है। इसे पाने के लिए देवते तरसते हैं।
जागरण संवाददाता, संगरूर
मानव जीवन बड़ी मुश्किल से नसीब होता है। इसे पाने के लिए देवते तरसते हैं। ऐसे में बहुमूल्य जीवन में पुण्य व अच्छे कर्म कमाने चाहिए, लेकिन मनुष्य इस हीरा जन्म को अजाया गंवा देता है। बाद में उसे कई जन्मों तक पछताना पड़ता है।
जैन स्थानक धर्मसभा को संबोधित करते महासाध्वी समर्थ श्री महाराज ने फरमाया कि श्री गुरु गोबिद सिंह जी महाराज के दो साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह ने जुलम के आगे सिर नहीं झुकाया। उन्हें यह शिक्षा अपनी दादी माता गुजर कौर से हासिल हुई थी। परन्तु संसार में आकर मनुष्य पिछले कर्मों मुताबिक बंधन में बंध जाता है। पुण्य की जगह पाप कमाकर जीवन व्यर्थ गंवा देता है। संबुद्ध श्री महाराज ने बताया कि माता पिता का कर्ज कभी उतारा नहीं जा सकता है। भले अपनी चमड़ी के जूते बनाकर उनके पैरों में क्यो न पहना दें। सभा के सत भूषण जैन ने बताया कि आयमल तपस्या में प्रधान विजय जैन व गायत्री जैन 40वें दिन प्रवेश कर चुके हैं। इकाश्ना तपस्या में जीवन जैन 40वें, अतुल गोयल 39वें तथा अनु जैन पांचवें दिन में प्रवेश कर गए हैं। इसके अलावा मधु मति, राजरानी, शालू जैन, कुमारी जैन, सुरभी जैन के अलावा अन्य तपस्या में भाग ले रहे हैं।