पराली दहन रोकने को कसी कमर, हर कदम पर तैयारी तेज
धान की फसल जैसे-जैसे पकने की तरफ बढ़ रही है वैसे ही सरकार प्रशासन व खेतीबाड़ी विभाग को पराली के प्रबंधन की चिता सताने लगी है। धान की पराली को आग लगाने का दौर नवंबर माह में फिर से शुरू हो जाएगा।
जागरण संवाददाता, संगरूर : धान की फसल जैसे-जैसे पकने की तरफ बढ़ रही है वैसे ही सरकार, प्रशासन व खेतीबाड़ी विभाग को पराली के प्रबंधन की चिता सताने लगी है। धान की पराली को आग लगाने का दौर नवंबर माह में फिर से शुरू हो जाएगा। ऐसे में किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करने सहित मशीनरी का प्रबंध करने में खेतीबाड़ी ने तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी कमर कस ली है और पराली जलते ही विभाग को संकेत मिलेंगी व जिसके आधार पर किसानों पर कार्रवाई की जाएगी। जिले में गत वर्ष भी 6566 केस सामने आए थे, जिसे इस बार कम करने की खातिर कड़ी रणनीति बनाई जा रही है। किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करना व मशीनरी का प्रबंध करना ही पराली के धुएं से बचने का सबसे कारगर कदम है।
गत वर्ष जिला संगरूर के 62 फीसदी रकबे में धान की पराली को आग नहीं लगाई गई। जिला प्रशासन, खेतीबाड़ी विभाग के प्रयासों सहित साइंटिफिक अवेयरनेस एंड सोशल वेलफयेर फोरम की कोशिशों सदका किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जागरूक किया गया। इसका परिणाम यह रहा कि जिले में 58 हजार किसानों ने अपनी जमीन पर पराली के एक तिनके को भी आग के हवाले नहीं किया, बल्कि पराली के अवशेषों के बीच ही गेहूं की बिजाई करने को तवज्जो दिया। इस बार भी विभाग ने किसानों को जागरूक करना आरंभ कर दिया है, ताकि जिले के अधिकतर रकबे में पराली को जलने से बचाया जा सके। विभाग दे रहा मशीनों पर किसानों को सब्सिडी
जिला मुख्य खेतीबाड़ी अफसर डॉ. जसविदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि गत वर्ष जिला संगरूर में 62 फीसदी रकबे में पराली को जलने से बचाने में सफलता मिली थी, इसबार इस रकबे को और अधिक बढ़ाया जाएगा। किसानों को पराली के प्रबंधन, सीधी बिजाई व पराली के निपटने के लिए हर तरीके की जानकारी दी जा रही है। साथ ही गांव-गांव में जाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं, ताकि किसान पराली को न जलाएं। विभाग द्वारा किसानों को मशीनरी पर सब्सिडी भी दी जा रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान इनका फायदा ले सके। पराली की गांठे बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली बेलन मशीनरी पर भी सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
केवीके भी पराली प्रबंधन के लिए तैयार
कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के सहायक डायरेक्टर डॉ. मनदीप सिंह ने बताया कि किसानों को सुपरसीडर, हैपीसीडर, मल्चर, पलटावे हल सहित हर प्रकार की मशीनरी के इस्तेमाल, धान के अवशेषों के बीच ही सीधी बिजाई करने की सिखलाई देने के लिए तैयारी कर ली है। मशीनरी का खेत में किस प्रकार इस्तेमाल करना है, पराली के बीच मशीनरी कैसे काम करती है इसकी सिखलाई किसानों को बकायदा तौर पर दी जाएगी।
सरकार दे किसानों का साथ, मुहैया करवाएं मशीनरी
किसान नेता जसविदर सिंह उभिया ने कहा कि पराली को आग लगाना किसानों की मजबूर है। अगर सरकार किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए अपने खर्च पर मशीनरी मुहैया करवाए तो किसान पराली जलाना बंद कर देंगे। साथ ही प्रति एकड़ आर्थिक मदद प्रदान की जाए। सरकार न तो मशीनरी मुहैया करवाती है तथा न ही आर्थिक मदद मिलती है, जिस कारण मजबूरन किसानों को धान की पराली को आग लगानी पड़ती है। आग लगाते ही मिलेगी संकेत, तुरंत होगी कार्रवाई
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ सचिन सिगला ने बताया कि अगले दिनों से ही गांवों में किसानों को जागरूक करने के लिए जागरूकता मुहिम आरंभ की जाएगी। साथ ही पराली जलाने के तुरंत बाद ही विभाग को सूचना प्राप्त होगी, जिसके लिए विशेष सेंटरों का इस्तेमाल किया गया है। किसानों को पराली जलाने पर जुर्माना किया जाएगा व उनकी जमीन की एंट्री लाल स्याही से की जाएगी, जिसके बाद किसान को सरकारी मदद या अन्य सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी।
पराली प्रबंधन के लिए बनाएंगे पशु चारा
साइंटिफिक अवेयरनेस एंड सोशल वेलफेयर फोरम के प्रधान डॉ. एएस मान ने कहा कि किसानों ने गत वर्ष पराली को पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल करने में काफी रुचि दिखाई थी, जिसकी बदौलत कई गांवों में किसानों ने पराली की गांठे बनाकर पराली बैंक में जमा करवाई। इस बार लक्ष्य को और अधिक बढ़ाया गया है, ताकि हर गांव के किसान इसमें सहयोग दें। संगरूर सहित पंजाब भर की अन्य गोशालाओं व बाहरी राज्यों तक पराली का पशु चारा पहुंचाने का प्रबंध किया जाएगा।