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नए की उम्मीद में पुराना आशियाना भी गया

मनदीप कुमार संगरूर पंजाब शहरी आवास योजना का लाभ तो बेशक लोगों को नहीं मिला।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 10:24 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 10:24 PM (IST)
नए की उम्मीद में पुराना आशियाना भी गया
नए की उम्मीद में पुराना आशियाना भी गया

मनदीप कुमार, संगरूर : पंजाब शहरी आवास योजना का लाभ तो बेशक लोगों को नहीं मिला, लेकिन इस योजना ने लोगों को कर्जदार अवश्य बना दिया है। मकान बनाने के लिए डेढ़ लाख रुपये सरकार द्वारा उन मकान मालिकों को मदद के तौर पर दिए जा रहे हैं, जिनके मकान कच्चे हैं या बेहद खस्ताहाल हो चुके हैं। मकान मालिकों को सिर पर छत के लिए पक्का मकान मुहैया करवाने के उद्देश्य से आरंभ की यह योजना लंबे समय से ठंडी पड़ी है, जिस कारण मकानों का निर्माण अधर में लटका है। अब लोग न तो घर के रहे न घाट के और कर्जे के बोझ में अलग से फंस गए हैं। चार किश्तें में मिलने वाले इस योजना के लाभ की अधिकतर लाभार्थियों को अभी मात्र एक या दो ही किश्तें मिली है, जबकि बाकी किश्तें का इंतजार करके लोग कर्जे में दब रहे हैं। संगरूर नगर कौंसिल अधीन ऐसे कई परिवार योजना की किश्तों का इंतजार कर रहे हैं। न रही सिर पर छत, न मकान ही बना

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संगरूर की गोगा देवी पत्नी बिल्लू सिंह के घर पर कमाने वाला कोई नहीं है। खस्ताहाल मकान किसी भी समय गिर सकता था। आवास योजना के तहत कौंसिल के कहने पर उन्होंने मकान को गिराकर नए मकान का निर्माण आरंभ कर दिया, लेकिन छह माह में मात्र 50 हजार रुपये की आएं, जबकि एक लाख रुपये की किश्तें बाकी है। पहली किश्त से मात्र नींव भरकर दीवारें ही बन पाई हैं, जबकि लेंटर डालने के लिए पैसे नहीं है। कर्ज लेने का प्रयास किया, लेकिन वह भी नहीं मिला। अब टिन की चादर दीवारों पर रखकर बरसात के मौसम में सिर छुपाए बैठे हैं। गोगा देवी ने कहा कि अब न तो पुराना मकान रहा तथा न ही नए मकान की सिर पर छत मिली। वह तो योजना की आस में घर ही बेघर होकर बैठ गए हैं। पता नहीं सरकार से मदद कब मिलेगी। नए की आस में पुराना भी न रहा

संगरूर निवासी जिदरी कौर पत्नी मक्खन सिंह की हालत बेहद बदतर हो चुकी है, क्योंकि आवास योजना की उम्मीद में उसने भी अपना पुराना मकान गिराकर नया मकान बनाने के लिए निर्माण आरंभ कर दिया, लेकिन पिछले वर्ष से योजना का लाभ का इंतजार कर रही है। पुराने मकान में जैसे-जैसे परिवार समेत रह रही थी, लेकिन अब तो मकान की केवल पांच-पांच फिट दीवारें ही बन पाई हैं। केवल 50 हजार रुपये ही मिले हैं, जबकि बाकी किश्तें जारी नहीं हुई। कर्ज लेने की भी हिम्मत नहीं है, क्योंकि कर्ज उतारे का कोई जरिया नहीं है। अब प्लास्टिक की तरपाल डालकर सिर छुपाए बैठे हैं। मानसून का मौसम में पूरा परिवार कैसे दिन गुजार रहा है इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। सरकार के दावे कब पूरे होंगे कुछ पता नहीं। कर्ज लेकर डाली छत, न सीढि़यां न घर को लगे दरवाजे

संगरूर के चरणजीत सिंह पुत्र जूपा सिंह ने बताया कि उसके मकान की छत कच्ची थी। किसी भी समय मकान गिर सकता था। आवास योजना का पता चला तो उसने भी फार्म भरा व उसे कौंसिल ने काम शुरू कर लेने को कहा। पुराने मकान की जगह पर नया मकान खड़ा कर लिया। एक लाख 30 हजार रुपये की योजना तहत मिल पाएं है, जबकि मकान पर अढ़ाई लाख रुपये खर्च हो गए हैं। सरकारी ग्रांट से केवल दीवारें ही पूरी हुई। कर्ज लेकर छत का लेंटर तो डाल लिया, लेकिन न तो छत को जाती सीढि़यां बन पाई और न ही मकान के फर्श डाले जा सके। सारे घर में दरवाजे खिड़की सब काम अधूरा है। गत वर्ष से परिवार ऐसे अधूरे मकान में ही रहा है। योजनाओं के नाम पर लोगों का शोषण कर रही सरकार: भराज

आम आदमी पार्टी की हलका सह-कनवीनर नरिदर कौर भराज ने अधूरी पंजाब शहरी आवास योजना पर कहा कि सरकारें लोगों की भलाई के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं के नाम पर केवल लोगों का शोषण कर रही हैं। जिले में सैकड़ों लाभार्थी मकान के निर्माण को संपन्न करने के लिए कर्जदार बन चुके हैं, लेकिन सरकार की तरफ से ग्रांट जारी नहीं की जा रही हैं। लोग घरों से बेघर हो चुके हैं। आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ संघर्ष आरंभ करेगी व इन लोगों को उनका बनता हक दिलाया जाएगा। ब्लॉक लाभार्थी फंड

संगरूर 53 48.45लाख, भवानीगढ़ 13 9.20 लाख, लोंगोवाल 23 20.30 लाख

धूरी 110 109.13 लाख

सुनाम 137 120.90 लाख,

चीमा 88 89.53

दिड़बा 50 50.22

लहरा 94 98.39

खनौरी 53 55.07

मूनक 18 18.60

मालेरकोटला 68 66.50

अमरगढ़ 15 14.46 लाख, अहमदगढ़ 78 73.90

रुपये लाख में


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