छह एकड़ से शुरू हुआ प्रयास 25 तक पहुंचा
जागरण संवाददाता संगरूर पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के जिला स्तरीय कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ में प्रदर्शनी लगाई।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के जिला स्तरीय कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी के माहिरों की टीम ने गांव कोठे गालबियां के किसान प्रगट सिंह के खेतों में धान की पराली को बिना जलाए हैप्पीसीडर की मदद से गेहूं की सीधी बिजाई शुरू करवाकर पराली न जलाने की मुहिम का आगाज किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी के सहायक डायरेक्टर डा. मनदीप सिंह ने कहा कि किसान प्रगट सिंह ने उनके केंद्र से जुड़कर पिछले तीन वर्षों से लगातार हैप्पीसीडर की मदद से धान के अवशेषों में गेहूं की सीधी बिजाई की है। वर्ष 2017 में उसने छह एकड़ रकबे में हैप्पीसीडर से गेहूं की सीधी बिजाई की तथा वातावरण को साफ-सुधरा बनाने में योगदान डालते हुए गेहूं की अच्छा झाड़ प्राप्त किया। फसल की अच्छी पैदावार से संतुष्ट होकर प्रगट सिंह ने दो वर्ष दौरान 13 एकड़ व 20 एकड़ रकबे में सीधी बिजाई की विधि को अपनाया। इस वर्ष प्रगट सिंह 25 एकड़ रकबे में हैप्पीसीडर से बिजाई कर रही है।
किसान प्रगट सिंह ने कहा कि उसे हैप्पीसीडर की मदद से गेहूं की सीधी बिजाई करते हुए तीन वर्ष का समय हो गया है। उसने हर वर्ष अपने रकबे में वृद्धि की है तथा सीधी बिजाई के दौरान उसे किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है। पराली को जमीन में दबाकर बिजाई करने से गेहूं व धान दोनों के झाड़ में ही वृद्धि हुई है। अब 25 एकड़ रकबे में धान की बिजाई भी केवीके खेड़ी की देखरेख में की है।
डा. मनदीप सिंह ने कहा कि सुपर एसएमएस लगी कंबाइन से कटाई करने के उपरांत पराली में गेहूं की बिजाई आसानी से की जा सकती है। हैप्पीसीडर से बोए गए गेहूं की फसल बहुत कम गिरती है। नदीमों की रोकथाम के लिए अधिक स्प्रे की जरूरत भी नहीं पड़ती व खेत में नमी की संभाल होने कारण दाने मोटे होते हैं, जिससे उत्पादन अधिक होता है।
पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी ने पराली की संभाल के लिए आधुनिक खेती मशीनरी जैसे हैपीसीडर, सुपरसीडर, मल्चर, कटर-कम सप्रेटर आदि की सिफारिश की गई है। इनके इस्तेमाल से पराली की संभाल आसानी से की जा सकती है। पराली खेत में मिलाने या मलचर करने से खाद बन जाती है, जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है व रासायनिक खादों का प्रयोग कम हो जाता है। अंत में डा. सुनील कुमार ने समूह किसानों को पराली को आग न लगाकर वातावरण को दूषित होने से बचाने की अपील की।