एग्रो इंडस्ट्री ने भी दिया समर्थन, आढ़तियों ने भी जताया रोष
जागरण टीम संगरूर किसानों के संघर्ष में आढ़तियों सहित अन्य वर्ग ने भी भरपूर समर्थन दिया।
जागरण टीम, संगरूर : किसानों के संघर्ष में आढ़तियों सहित अन्य वर्ग ने भी भरपूर समर्थन दिया। चीमां में जगतजीत ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के समूह वर्करों ने केंद्र सरकार के खिलाफ काम बंद कर नारेबाजी की। बस स्टैंड पर चल रहे किसान संघर्ष में शिरकत कर मोदी सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। ग्रुप के कर्मचारी रणजीत सिंह, हरदीप सिंह, भोला सिंह, जरनैल सिंह आदि ने कहा कि अगर किसान नहीं रहा तो उनकी इंडस्ट्री भी तबाह हो जाएगी, क्योंकि किसानों की वजह से ही उनके औजार देश भर में मशहूर हैं। उन्होंने मोदी सरकार से कृषि विधेयक वापस लेने की मांग की। इस मौके पर प्रीत सिंह, गुरी सिंह, चरणा सिंह, सतनाम सिंह, हाकम सिंह आदि उपस्थित थे। उधर, दिड़बा में शिरोमणि अकाली दल बादल की ओर से पूर्व मंत्री बलदेव सिंह मान के नेतृत्व में हलका स्तरीय खेती बिलों के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया। दिड़बा-संगरूर रोड पर जाम लगाकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। बलदेव सिंह मान, तेजा सिंह कमालपुर व गुलजार सिंह ने केंद्र सरकार के विधेयक वापस लेने की मांग की।
उधर, लहरागागा में आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान जीवन कुमार रबड़ के नेतृत्व में समूह आढ़तियों व दुकानदारों ने मोदी सरकार के खिलाफ मार्च कर नारेबाजी की। सीनियर कांग्रेसी नेता वरिदर गोयल व प्रधान जीवन कुमार ने कहा कि विधेयक से देश की रीढ़ की हड्डी किसान टूट जाएगी, जिससे देश आर्थिक तौर पर दोबारा उठ नहीं सकेगा। उन्होंने केंद्र सरकार से विधेयक वापस लेने की मांग की।
मूनक में किसानों ने शिअद वर्करों को खदेड़ा
मूनक के गांव सलेमगढ़ में शिरोमणि अकाली दल बादल पार्टी के झंडे तले धरना लगाए बैठे वर्करों को किसानों द्वारा खदेड़ दिया गया। किसानों ने वर्करों को कहा कि यदि वह किसानों के हक में हैं तो पार्टीबाजी से दूर होकर किसानों के साथ संघर्ष में शामिल हों। जिसके बाद वर्कर धरना समाप्त कर चले गए। दूसरी तरफ टोहाना-मूनक टेक्स बैरियर चौंक में लखविदर सिंह खजानची ब्लॉक लहरा किसान यूनियन सिद्घुपुर के नेतृत्व में विधेयक के खिलाफ धरना दिया गया। जिसमें किसान, मजदूर, महिलाओं, दुकानदारों ने बड़ी संख्या में शिरकत की। सतवंत सिंह खंडेवाद ने कहा कि समय की सरकार किसानों को खत्म करना चाहती हैं। लेकिन इस बात पर गौर किया जाए कि किसान के साथ 80 प्रतिशत लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। अगर जड़ काट दी गई तो पूरे का पूरा पेड़ सूख जाएगा। इसके अलावा किसान यूनियन के जनक सिंह के नेतृत्व में गांव रामपुर गनोटा में मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई और विधेयक वापस लेने की मांग की गई।