जैविक खेती अपनाकर प्रेरणास्रोत बने सिमरनजीत सिंह
जैविक खेती अपनाकर प्रेरणास्रोत बने सिमरनजीत सिंह
जागरण संवाददाता, संगरूर : आज के आधुनिक युग में जहां आम तौर पर किसान खेती उत्पादन लेने के लिए रसायनिक खाद व अन्य कीड़ेमार दवाओं का उपयोग कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ भवानीगढ़ के नजदीकी गांव सकरौदी में किसान सिमरनजीत सिंह रसायनिक खादों व कीड़ेमार दवाओं के उपयोग के बिना जैविक खेती को प्राथमिकता दे रहा है। किसान सिमरनजीत सिंह ने बताया कि उसने 1991.92 में अपनी घरेलू बगीची से जैविक खेती की शुरुआत की र्थी व अब लगभग 7 एकड़ में जैविक खेती कर रहा है। अब यह किसान जैविक खेती से अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है।
किसान सिमरनजीत सिंह ने बताया कि वह जैविक दालें, जैविक धान, गेहूं, गन्ना व सब्जियों की काश्त करता है व जैविक गन्ने से अपने स्तर पर ही शक्कर तैयार करके उसका मंडीकरण भी निजी तौर पर ही करता है। किसान गेहूं की जैविक किस्म बंसी की काश्त भी करता है व रूड़ी खाद, मुर्गी खाद, कंपोस्ट खाद का उपयोग खेतों में खाद के तौर पर करता है। कीड़ों व बीमारियों की रोकथाम के लिए लस्सी, धतूरा, हरी मिर्च, लाल मिर्च आदि का उपयोग करता है। प्रगतिशील किसान सिमरनजीत सिंह अपने यत्नों के चलते जहां एक तरफ वातावरण को प्रदूषित होने से रोक रहा है वहीं दूसरी तरफ रसायनिक खादों व कीड़ेमार दवाईयों के उपयोग से बढ़ रहे जहर पर भी लगाम लगाना है।
डीसी घनश्याम थोरी ने कहा कि तंदरूस्त मिशन पंजाब तहत किसानों को जैविक खेती के लिए उत्साहित किया जा रहा है व खेतीबाड़ी विभाग, बागबानी विभाग की विशेष टीमें गांव-गांव जाकर लोगों को तंदरूस्त पंजाब मिशन का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं, जिसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।
मुख्य खेतीबाड़ी अफसर सुशील कुमार ने कहा कि किसान सिमरनजीत ने अन्य किसानों के साथ मिलकर फार्म प्रड्यूस आर्गेनाइजेशन भी बनाई है, जिसमें 485 किसान हैं जोकि 189 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं। किसान द्वारा समय-समय पर खेतीबाड़ी विभाग व खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी लुधियाना में लगाए जाते कैंपों में अपने जैविक उत्पादों की स्टाल लगाई जाती है, जहां वह अन्य किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करता है।
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