गुलाबी सुंडी रोकने के संशोधित बीज का उपयोग करें : डा. बूटा
संगरूर जिले के किसानों को पराली न जलाने व इसके सही प्रबंधन के लिए जागरूक किया जा रहा।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
जिले के किसानों को पराली न जलाने व इसके सही प्रबंधन के लिए जागरूक करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी व कृषि सलाह सेवा केंद्र संगरूर ने गांव बीरकलां में जागरूकता कार्यक्रम करवाया। इस मौके पर केंद्र के सहयोगी निदेशक प्रशिक्षण डा. मनदीप सिंह ने बताया कि किसी भी कीमत पर पराली न जलाई जाए। ऐसा करने से जहां पर्यावरण दूषित होता है, वहीं धरती की उपजाऊ शक्ति भी नष्ट होती है। किसानों को इसे रोकने के लिए विभाग सब्सिडी पर हैप्पीसीडर, सुपरसीडर, मलचर, रोटरी सलेसर, जीरो ड्रिल मुहैया करवाए जा रहे हैं। डा. बूटा सिंह रोमाणा प्रमुख खेत सलाहकार केंद्र ने किसानों को उलटावे हल, मलचर, हैप्पीसीडर व बेलर के इस्तेमाल की जानकारी दी। वहीं गेहूं के खेतों में पड़ने वाली गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए बीज संशोधित करने के बारे में बताया। सहायक प्रोफेसर फार्म मशीनरी डा. सुनील कुमार ने कहा कि पराली जलाने से फसल को लाभ पहुंचाने वाले कीट भी जलकर मर जाते हैं। पेड़ों के पत्ते बुरी तरह झुलसकर सूख जाते हैं। डा. सतवीर सिंह सहायक प्रोफेसर पशु विज्ञान ने किसानों को पराली पशु चारे के रूप में इस्तेमाल करने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि धान की कटाई के बाद बची पराली को पशुओं के आहार व सर्दियों में फर्श पर बिछाने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। अंत में किसानों को सरसों व जीवाणु खाद के टीके व खेती साहित्य मुहैया करवाया गया।