सज गई चौपाल, पत्तों में पार्टियों से दिखा प्यार
दोपहर के 12 बजे और आसमान में चिलचिलाती गर्मी व शहर का बनासर बाग जहां धूप से बचने के लिए लोग छाव में बैठकर हल्के हवा के झौंकों का आनंद ले रहे हैं। एक बुजुर्ग पोते को झूले पर खिलाते हुए बच्चे की खिलखिलाती हंसी में चिताओं के बोझ को हलका कर रहा है। पास ही बरगद के विशाल वृक्ष की छाव के तले जमा व्यक्ति ताश के पत्तों की बाजी में व्यस्त हैं।
मनदीप कुमार, संगरूर : दोपहर के 12 बजे और आसमान में चिलचिलाती गर्मी व शहर का बनासर बाग जहां धूप से बचने के लिए लोग छाव में बैठकर हल्के हवा के झौंकों का आनंद ले रहे हैं। एक बुजुर्ग पोते को झूले पर खिलाते हुए बच्चे की खिलखिलाती हंसी में चिताओं के बोझ को हलका कर रहा है। पास ही बरगद के विशाल वृक्ष की छाव के तले जमा व्यक्ति ताश के पत्तों की बाजी में व्यस्त हैं। इसी बाजी के बीच हाथ में पकड़े पत्तों में से एक पत्ता जमीन पर गिराते हुए नंद लाल लोकसभा चुनाव पर चर्चा शुरू करता है कि आखिर इस बार चुनाव कैसे होगा और कौन सी पार्टी सरकार बनाएगी। अभी बात खत्म नहीं की थी कि शिव नारायण बोलता है कि सरकार किसकी बनेगी यह पता नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस व अकाली दल की हालत खराब कर रखी है। नंद लाल बोलता है, कहां हालत खराब यार, केजरीवाल का दिल्ली में दम निकलता दिखाई दे रहा है। इसी बीच प्यारे लाल बोल पड़ता है कि यार आज के समय में राजनीतिक पार्टियों का कोई स्टैंड ही नहीं है। फिर नंद लाल जवाब देता है कि अगर दिल्ली में कांग्रेस व आप एकजुट हुए तो पंजाब में भी आम आदमी पार्टी को नुकसान झेलना पड़ेगा।
शिव नारायण तपाक से बोलता है कि पंजाब में तो आप पहले ही बिखर गई है अब तो केवल भगवंत मान ही दिखाई देता है वह अकेला क्या करेगा। कुलदीप सिंह भी ताश का पत्ता जोर से जमीन पर फेंकते हुए कहता है कि भगवंत मान अकेला ही संसद में बोल रहा है। इससे पहले कितने ही संगरूर से सांसद बने हमने तो किसी को संसद में बोलते पहले नहीं देखा। इसी बीच भोला कहता है कि आम आदमी पार्टी चाहे कुछ भी कर ले यार, केंद्र में सरकार नहीं बना सकती। नंद लाल बोलता है कि मोदी ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब तो दिया। इसके जवाब में सुभाष चंद्र तुरंत सवाल उठाता है कि देश की सेना ने जवाब दिया, मोदी का क्या रोल।
इसके बाद प्यारे लाल बोलता है कि अब कांग्रेस 72 हजार वार्षिक आर्थिक मदद भी देगी जिस पर तुंरत सुभाष चंद्र टिप्पणी करता है कि हां जैसे पहले 15-15 लाख मिल गए, वैसे ही 72 हजार मिलेंगे। इस बहसबाजी को सुनकर शिव नारायण बोलता है कि यार तुम पत्ते गिराओ खेल मत खराब करो। सरकार किसी की भी बने लोगों की दशा में कोई सुधार नहीं होने वाला।