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जेईई मेन में संचित गर्ग ने 679 वां व राघव ने 1834 वां रैंक मिला

संवाद सहयोगी संगरूर नेशनल टेस्टिग अथॉरिटी द्वारा ली गई जेईई मेन्स की परीक्षा में 679 वां रैंक मिला।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 10:26 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 05:05 AM (IST)
जेईई मेन में संचित गर्ग ने 679 वां व राघव ने 1834 वां रैंक मिला
जेईई मेन में संचित गर्ग ने 679 वां व राघव ने 1834 वां रैंक मिला

संवाद सहयोगी, संगरूर :

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नेशनल टेस्टिग अथॉरिटी द्वारा ली गई जेईई मेन्स की परीक्षा में संगरूर के दो विद्यार्थियों ने शानदार रैंक हासिल किए। फा‌र्च्यून कान्वेंट स्कूल अकोई साहिब के छात्र संचित गर्ग ने 679वां स्थान हासिल किया है। संचित ने बारहवीं की परीक्षा में 95.60 फीसद अंक हासिल किए थे। जेईई के परिणामों में 679 वां स्थान हासिल कर चुके संचित ने बताया कि उनका भविष्य में कंप्यूटर इंजीनियर बनने का सपना है, जिसे वह पूरा करने के लिए लगातार जुटा है। अब उन्होंने जेईई एडवांस की परीक्षा देनी है, जिसके बाद वह एक अच्छा इंजीनियर बनकर देश के लिए काम करना चाहते है। उन्होंने बताया कि स्कूल के अध्यापकों के अलावा उनके पिता इंजीनियर संजीव गर्ग व माता लेक्चरर अनीता गर्ग उन्हें लगातार प्रेरित करते हैं, जिनकी प्रेरणा के कारण ही उन्होंने यह टारगेट हासिल किया है। जेईई की तैयारी के दिनों में वह प्रतिदिन 9 से 10 घंटे तक पढाई करते था। पढाई के साथ वह आराम का भी खास ख्याल रखता था। संचित ने कहा कि अगर कोई भी मंजिल हासिल करनी है तो मन लगाकर मेहनत करनी जरूरी है। छात्रों के एकाग्रता से ही पढ़ाई करनी चाहिए।

उधर फा‌र्च्यून स्कूल के चेयरमैन डॉ. प्रताप सिंह धालीवाल, स्कूल के सचिव जेपी धालीवाल व प्रि. राजबीर कौर ने कहा कि संचित एक होनहार छात्र है। 12वीं के नतीजों में भी संचित ने अच्छे अंक हासिल किए थे। संचित सभी अध्यापकों को सम्मान देता है व उनके बताए हुए मार्ग पर चलने की कोशिश करता है। उन्होंने संचित के माता पिता व उसके अध्यापकों को बधाई देते हुए कहा कि बाकी स्कूल के छात्रों को भी संचित से प्रेरणा लेकर अभिभावकों व स्कूल का नाम रोशन करना चाहिए।

कुछ हासिल करने के लिए खुद की खुद से जंग: राघव मनचंदा

जेईई मेन में 1834वां रैंक हासिल करने वाले राघव मनचंदा ने कहा कि सफल होने के लिए अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करें साथ ही अध्यापकों के मार्गदर्शन के मुताबिक चलने के अलावा उनका आशीर्वाद भी बहुत मूल्यवान होता है, जो सफलता हासिल कराने में सहयोगी साबित होता है। उनके पिता प्रवीण मनचंदा, माता सरिता मनचंदा के अलावा सभी बुजुर्ग उन्हें बहुत प्रेरित करते हैं। तैयारी के दिनों में टाइम टेबल बनाने के साथ अनुशासन का खास ध्यान रखना रखें। उन्होंने बताया कि तैयारी के दौरान खुद का खुद से मुकाबला होता है। वह दिन में 8 से 10 घंटे तक पढाई करते थे। किसी भी व्यक्ति को अपना लक्ष्य अवश्य निर्धारित करना चाहिए। अगर कभी असफल हो भी जाए या नंबर कम आ जो तो घबराएं नहीं आगे के लिए ओर अच्छी तैयारी करें। उन्होंने बताया कि वह भविष्य में कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहते हैं।


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