लापरवाही से हो रहे हादसे, खून से सड़कें हो रही लाल
लापरवाही व ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन दोनों ही सड़क हादसों के कारण जा रही जानें।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
लापरवाही व ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन दोनों ही सड़क हादसों की मुख्य वजह हैं। सड़कें हर दिन सड़क हादसों में मरने वालों के खून से लाल हो रही हैं, लेकिन इसके बावजूद तो वाहन चालक न तो ट्रैफिक नियमों का गंभीरता से पालन करने को तैयार है तथा न ही सड़क हादसों पर रोक लगा पाने में ट्रैफिक पुलिस या सरकार सफल हो पा रही है।
जिसकी वजह से हर वर्ष ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक नियमों प्रति जागरूकता सप्ताह मनाकर लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने का पाठ पढ़ाती हैं, लेकिन इसके बावजूद सड़क हादसों का ग्राफ कम होने की बजाए बढ़ रही है। सर्दी की शुरुआत हो गई है व धुंध का दौर अगले माह में चरम पर होगा। ऐसे में सड़क हादसों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ेगा, क्योंकि लापरवाही से सड़कों पर वाहन चलाना हादसों का कारण बनेगा। 11 महीने में 136 हादसे
जिला संगरूर की बात करें तो मौजूदा वर्ष 2020 दौरान 136 सड़क हादसे पिछले करीब 11 माह के समय दौरान हो चुके हैं, जबकि अभी सर्दी व धुंध का मौसम का एक माह का समय वर्ष बाकी है। इन सड़क हादसों में दो पहिया व चार पहिया वाहन अधिक हादसों का शिकार हुए हैं, ट्रक-ट्राले, टेंपू व ट्रैक्टर-ट्रालियां भी हादसे का करण बने। हालाकि इस दौरान बसें कम ही जानलेवा रहीं। दो पहिया वाहन सवार हेलमेट का इस्तेमाल न करने के चलते अधिक जान गवाए हैं। देखा जाए तो 136 हादसों में 73 लोगों की मौत हुई है। हेलमेट न पहनने से 73 की गई जान
यहां अधिकतर दो पहिया वाहन सवार हेलमेट का प्रयोग नहीं करते। पुरुष, महिलाएं, बच्चे हो या बुजुर्ग इस मामले में सभी लापरवाह हैं। संगरूर जिले में 11 महीने में 73 लोगों की जान हेलमेट नहीं लगाने की वजह से गई है। ट्रैफिक सिग्नल की कमी बड़ी समस्या
संगरूर बेशक नेशनल व स्टेट हाईवे पर स्थित है, लेकिन यहां चारों तरफ से सरपट दौड़ने वाले ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए अधिक चौक-चौराहों, मुख्य मार्गों, भीड वाले इलाकों, बस स्टैंड समीप अधिकतर जगहों पर ट्रैफिक कंट्रोल सिग्नल नहीं हैं। लिहाजा हर छोटा-बड़ा वाहन बिना नियंत्रण के सड़कों पर से गुजरते हैं, जिस कारण हर दिन सड़क हादसे होते रहते हैं। भले ही ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस बल चौराहों पर तैनात रहते हैं, लेकिन बिना ट्रैफिक सिग्नल के ट्रैफिक को नियंत्रित कर पाना आसान नहीं है। संगरूर शहर की बात करें तो बस स्टैंड के बाहर लगी ट्रैफिक लाइटें करीब एक दशक से बंद पड़ी हैं। सुनाम व मालेरकोटला में इक्का-दुक्का जगह पर ही ट्रैफिक लाइटें लगी हैं। हर वर्ष बढ़ रहे हादसे
वर्ष हादसे मौतें
2018 126 69
2019 145 79
2020 136 73