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पंजाब में किसानों का दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे के लिए जमीन देने से इन्कार, काले झंडे लेकर प्रदर्शन

पंजाब के संगरूर के किसानों व जमीन मालिकों ने दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे केे जमीन देने से साफ इन्कार किया है। इसके विरोधस्वरूप उन्होंने काले झंडे लेकर प्रदर्शन किया। किसानों ने कहा कि सरकार जमीन पूंजीपतियों को सौंपना चाहती है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 02:10 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 02:34 PM (IST)
पंजाब में किसानों का दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे के लिए जमीन देने से इन्कार, काले झंडे लेकर प्रदर्शन
संगरूर में काले झंडे लेकर प्रदर्शन करते जमीन मालिक। जागरण

जेएनएन, संगरूर। दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस-वे के लिए किसानों व जमीन मालिकों ने संगरूर में अपनी जमीन देने से साफ इन्कार कर दिया है। जमीन मालिकों ने मंगलवार को संगरूर शहर में केंद्र सरकार के खिलाफ काले झंडे हाथों में लेकर रोष मार्च निकाला। रोष मार्च के बाद जमीन मालिकों ने जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के समक्ष धरना दिया व डीसी को मांग पत्र सौंपकर अपनी जमीन एक्सप्रेस-वे के लिए न देने का एलान किया।

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दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस किसान संघर्ष कमेटी के प्रांतीय प्रधान सुखदेव सिंह ढिल्लो, संगरूर ब्लाक प्रधान हरमनजीत सिंह डिक्की जेजी, उपप्रधान प्रदीप सिंह, पटियाला यूनिट प्रधान जगजीत सिंह गलोली की अगुवाई में किसानों व जमीन मालिकों ने कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसानों के चल रहे संघर्ष का समर्थन किया।  कहा कि किसानों की जमीन कारपोरेट घरानों व पूूंजीपतियों के हाथ में देने के लिए दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस निकाला जा रहा है, लेकिन किसान अपनी जमीन एक्सप्रेस वे के लिए नहीं देंगे। 

धरने के दौरान प्रांतीय प्रधान सुखदेव सिंह ढिल्लोंं, संगरूर ब्लाक प्रधान हरमनजीत सिंह डिक्की जेजी ने कहा कि जिला संगरूर में खनौरी से अहमदगढ़ तक कई किलोमीटर के इलाके में से दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे निकलना है। इसके लिए जमीन एक्वायर करने की प्रक्रिया शुरू होने लगी है, जिसकी जानकारी उन्हें विज्ञापन के जरिये मिली है। केंद्र सरकार किसानों की जमीनों के हड़पने के लिए साजिश तहत पहले तीन कृषि कानून लेकर आई है व अब एक्सप्रेस वे के जरिये जमीन पर कब्जा करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि यह एक्सप्रेस वे जमीन से 15 फीट की ऊंचाई पर बनना है, जिस कारण एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ के जमीन मालिकों की बाकी जमीन भी बर्बाद हो जाएगी, क्योंकि जमीनें दो हिस्सों में बंट जाएंगी, इसलिए किसान व जमीन मालिक अपनी जमीन किसी भी कीमत पर एक्सप्रेस वे को नहीं देंगे। यह सड़क राजनीतिक नेताओंं व पूंजिपतियों के फायदे के लिए बनाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि पंजाब में पहले ही सड़कों का जाल बिछा हुआ है। इनमें से बहुत सी सड़कों का बुरा हाल है। सरकार द्वारा उन सड़कों की हालत पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस सड़क के बनने से किसानों की करोड़ों रुपयों की उपजाऊ जमीन छिन जाएगी। एक्सप्रेस वे बनने के बाद दो हिस्सों में बंटी जमीन पर खेती करनी व संभालनी अति मुश्किल होगी। जमीन के एक हिस्से को पानी लगाने के बाद दूसरे हिस्से में पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि एक्सप्रेस वे के नीचे से पानी की व्यवस्था करना जमीन मालिक के लिए काफी मुश्किल होगा। यदि पंजाब सरकार व पीडब्लयूडी मंत्री किसान के पक्ष में हैं तो वह इस किसान विरोधी प्रोजेक्ट को तुरंत रद करवाएं। यदि ऐसा न हुआ तो आने वाले समय में सहयोगी संगठनों व किसान हितैषी नेताओं से मिलकर संघर्ष की रणनीति तैयार की जाएगी, ताकि केंद्र सरकार, पंजाब सरकार, पीडब्ल्यूडी मंत्री को नींद से जगाया जा सके।

उपप्रधान प्रदीप सिंह, पटियाला यूनिट प्रधान जगजीत सिंह गलोली ने कहा कि केंद्र सरकार का यह एक्सप्रेस वे किसी भी कीमत पर किसानों, जमीन मालिकों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। करोड़ों रुपये की जमीन कौड़ियों के भाव पर हड़पने की कोशिश की जा रही है, जिसे वह किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। किसानी संघर्ष की हिमायत करते हुए सभी जमीन मालिकों ने फैसला लिया है कि वह अपनी जमीन एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट के लिए नहीं देंगे। इस मौके पर यादविंदर सिंह, हरपाल सिंह, कपूर सिंह, जगजीत सिंह, अमनदीप सिंह घग्गा, सतनाम सिंह, भूरा सिंह, जगनैल सिंह, गुरप्यार सिंह, पवित्र सिंह, सरपंच सतनाम सिंह, हरमीतसिंह, नरिंदर सिंह, लखवीर सिंह, अमनदीप सिंह, गुरमेल सिंह, गुरजंट सिंह, सुखविंदर सिंह आदि मौजूद थे। 


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