न्यू डीपीई यूनियन ने नौकरी के लिए चार घंटे तक महावीर चौक में लगाया जाम, राहगीर हुए परेशान
न्यू डीपीई यूनियन ने रोजगार की मांग को लेकर शहर में राज्य स्तरीय रोष प्रदर्शन के तहत महावीर चौक में चार घंटे तक जाम लगाया। बेरोजगार डीपीई अध्यापकों ने दोपहर 12 बजे चौक की चारों मुख्य सड़कों को जाम कर दिया व शाम चार बजे तक यातायात को ठप रखा।
संगरूर, जेएनएन। न्यू डीपीई यूनियन ने रोजगार की मांग को लेकर शहर में राज्य स्तरीय रोष प्रदर्शन के तहत महावीर चौक में चार घंटे तक जाम लगाया गया। बेरोजगार डीपीई अध्यापकों ने दोपहर 12 बजे चौक की चारों मुख्य सड़कों को जाम कर दिया व शाम चार बजे तक यातायात को ठप रखा। बेरोजगार अध्यापकों ने कैप्टन सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। चार बजे यूनियन के सदस्यों को तहसीलदार केके मित्तल ने 4 नवंबर को शिक्षा मंत्री के साथ पैनल बैठक करवाने का आश्वाशन दिया जिसके बाद अध्यापकों ने धरना उठा लिया।
इस मौके यूनियन के सदस्यों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा न किया गया तो वह संघर्ष को ओर तेज करने के लिए विवश हो जाएंगे। इस मौके यूनियन के राज्य प्रधान मनप्रीत सिंह ने बताया कि इससे पहले बीस अक्टूबर को यूनियन की तरफ से प्रदर्शन किया गया था। जिसमें प्रशासन द्वारा तीस अक्टूबर को उनकी पैनल बैठक शिक्षा मंत्री विजयइंद्र सिंगला से करवाने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन अभी तक वादा पूरा किया गया था। जिस कारण उन्हें मजबूरन प्रदर्शन करना पड़ा है।
उन्होंने बताया कि वह पहले भी शिक्षामंत्री को बहुत से ज्ञापन भेज चुके हैं। लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रांत में उनकी केटेगिरी के तकरीबन छह हजार बेरोजगार डीपीई अध्यापक हैं जो रोजगार के लिए ठोकरें खा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी यूनियन में 2017 से 2020 तक के पास आउट बेरोजगार डीपीई अध्यापक हैं। इस मौके पर जसविंदर सिंह लेखराज, जसकरन सिंह, हरविंदर सिंह, सुखचैन कौर के अलावा अन्य साथी उपस्थित थे। रास्ता बंद होने से लोग भटके बेरोजगार डीपीई अध्यापकों द्वारा लगाए गए जाम के कारण घंटों तक लोग परेशान होते रहे। कई लोगों ने अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए अध्यापकों के सामने विवशता जाहिर की मगर अध्यापक किसी को धरने से गुजरने नहीं दे रहे थे हां कुछ बुजुर्गों व एंबुलेंस को आगे जाने के लिए बेरोजगार अध्यापकों ने रास्ता दिया। कई मरीजों को भी सिविल अस्पताल पैदल दूर तक चल के जाना पड़ा।