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1000 क्विंटल पराली जलने से बची, गांठ बनाने में जुटे किसान

संगरूर दैनिक जागरण की ओर से चलाए गए पराली नहीं जलाएंगे के तहत गांठ बनाने का काम शुरू किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 05:52 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 06:27 AM (IST)
1000 क्विंटल पराली जलने से बची, गांठ बनाने में जुटे किसान
1000 क्विंटल पराली जलने से बची, गांठ बनाने में जुटे किसान

जागरण संवाददाता, संगरूर

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दैनिक जागरण की ओर से चलाए गए 'पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे' अभियान के तहत जागरूकता मुहिम के तहत इलाके के किसान पराली प्रबंधन में जुट गए हैं। इससे जहां एक हजार क्विंटल पराली जलने स बच गई वहीं इसे रखन के लिए उचित प्रबंध भी कर लिए गए हैं।

साइंटिफिक अवेयरनेस एंड सोशल वेलफेयर फोरम के प्रयास से अकाल कालेज कौंसिल मस्तुआना साहिब के अकाल फार्म सीड पर बनाया गया पराली का पहला बैंक भी कार्य करने लगे है। इस बैंक में गोस्वामी अमृतानंद स्वामी की प्रेरणा से सदका लेकर पराली बैंक की स्थापना की गई है। अकाल कौंसिल ने अपनी जगह पर जहां पराली की गांठें बनाकर पराली बैंक में जमा करने की शुरूआत की है, वहीं गांव भलवान, रोशनसिंह वाला, संगरूर के किसानों ने भी अपने खेतों में पराली की गांठें बनाकर गोशाला को भेजने की शुरूआत की।

उल्लेखनीय है कि साइंटिफिक अवेयरनेस एंड सोशल वेलफेयर फोरम के प्रधान डॉ. एएस मान के प्रयासों से गोवर्धन के गोस्वामी अमृतानंद स्वामी की बताई पराली बैंक के सुझाव के बाद अकाल कॉलेज कौंसिल ने अपनी जगह पर पराली बैंक की स्थापना की।

पराली बैंक में पराली जमा करवाने व पराली को पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल करने की तरफ किसानों ने कदम बढ़ा लिया है। अकाल कौंसिल मस्तुआना साहिब ने 40 एकड़ जमीन पर पराली की गांठे बनवाकर पराली बैंक में स्टोर की। साथ ही इनके प्रयास के बाद गांव भलवान के किसान कर्मजीत सिंह ने अपने दस एकड़ जमीन पर पराली की गांठें बनवाई। कर्मजीत सिंह ने कहा कि वह पिछले लंबे समय से पराली को जलाए बिना गेहूं की सीधी बिजाई कर रहे हैं, जिससे फसल का झाड़ अधिक प्राप्त होता है। इस बार उन्होंने पराली की गांठें बनवाने का कदम उठाया है, ताकि पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। गांव रोशन सिंह वाला के किसान टहल सिंह ने नौ एकड़, संगरूर निवासी सफी मोहम्मद ने अपने दस एकड़ जमीन की पराली की गांठे बनवाई। खेतों में से यह पराली मस्तुआना साहिब के पराली बैंक में जमा करवाई जाएगी, जहां से इसे गोशालाओं को पशु चारे के लिए भेजा जाएगा।

झनेड़ी की गोशाला में पहुंचेगी 1000 क्विंटल पराली

साइंटिफिक अवेयरनेस एंड सोशल वेलफेयर फोरम के प्रधान डा. एएस मान ने कहा कि मस्तुआना साहिब, रोशन सिंह वाला, भलवान व संगरूर के किसानों द्वारा बनाई गई पराली की गांठों सहित कुल एक हजार क्विंटल पराली को गांव झनेड़ी की सरकारी गोशाला में पशु चारे के लिए भेजा जाएगा। गोशाला में पराली की संभाल के लिए शैड बनाए गए हैं, जहां पर इस पराली को संभला जाएगा व वर्ष भर पशु इस पराली का सेवन करेंगे। पराली पशुओं को नहीं पहुंचाती कोई नुकसान

स्वामी अमृतानंद गोवर्धन ने कहा कि अधिकतर पशु पालकों में ऐसे भ्रम है कि धान की पराली पशुओं को खिलाने से पशुओं की सेहत को नुकसान पहुंचता है, जबकि ऐसे कतई नहीं है। धान की सूखी सुनहरे रंग की पराली पशुओं को चारे के रूप में डालने से कोई हानि नहीं होता, जबकि हरी पराली नहीं खिलानी चाहिए। हरे चारे के साथ यह पराली मिक्स करें या चोकर इत्यादि मिलाकर पशुओं को डाले, जिससे पशुओं की सेहत भी तंदरुस्त रहेगी, वहीं पशु दूध भी प्रदान करेंगे।

पराली न जलाने वाले किसान बने वीआइपी

डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने कहा कि किसानों को पराली प्रबंधन प्रति जागरूक करने व आग लगने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए लगातार किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। सभी ब्लॉक अफसरों को अपने अधीन गांवों से 50-50 ट्रालियां गोशालाओं में पहुंचाने की हिदायत दी है, ताकि शहरों में पकड़कर गोशालाओं में पहुंचाए गए बेसहारा पशुओं को चारा प्रदान किया जा रहे।


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