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मकर संक्रांति पर गुरु घरों में उमड़ी संगत, सरोवर में लगाई डुबकी

चौदह जनवरी को माघ महीना शुरू होने से जहां श्री गुरु गोबिद सिंह जी के चालीस शहीद सिखों की याद में श्री मुक्तसर साहिब में माघी मेले की शुरुआत हो चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 05:02 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 05:02 PM (IST)
मकर संक्रांति पर गुरु घरों में उमड़ी संगत, सरोवर में लगाई डुबकी
मकर संक्रांति पर गुरु घरों में उमड़ी संगत, सरोवर में लगाई डुबकी

संवाद सूत्र, संगरूर : चौदह जनवरी को माघ महीना शुरू होने से जहां श्री गुरु गोबिद सिंह जी के चालीस शहीद सिखों की याद में श्री मुक्तसर साहिब में माघी मेले की शुरुआत हो चुकी है। वहीं हिदू धर्म में इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। शुक्रवार को माघ की संगरांद होने से शहर संगरूर व आसपास के गुरुद्वारा साहिब में काफी संख्या में सिख संगत नतमस्तक हुई। वहीं हिदू धर्म को मानने वालों ने शिव मंदिर, कृष्ण मंदिर, काली माता मंदिर व हनुमान मंदिर में माथा टेककर जल चढ़ाकर पूजा की। ठंड को देखते हुए सभी स्थानों पर चाय, दाल रोटी सहित विभिन्न प्रकार के लंगर लगाए गए। इसके अलावा श्रद्धालुओं के बैठने के लिए कालीन की व्यवस्था की गई। इससे पहले लोहड़ी की आधी रात के बाद से संगत ने पवित्र सरोवरों में स्नान कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी समक्ष कड़ाह प्रशाद की देग भेंट की। शहर संगरूर के गुरुद्वारा नानकियाना साहिब, गुरुद्वारा सिंह सभा, नानकपुरा साहिब, गुरुद्वारा महल मुबारक साहिब सहित श्री मस्तुआना साहिब में काफी संख्या में संगत ने माथा टेका। गुरुद्वारा मस्तुआना साहिब में रात्रि तीन बजे श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश किए गए। पालकी साहिब को सुंदर रुमालों व फूलों से सजाया गया। शहीदों व चालीस मुक्तों के नमित अरदास के बाद हुकुमनामा जारी हुआ। इस मौके पर दरबार साहिब में रागी जत्थों ने श्री गुरु गोबिद सिंह जी के चालीस शहीद सिखों की गाथा ब्यान की। भाई राजवीर सिंह ने संगत को गुरु साहिब की शिक्षाओं पर चलकर जीवन सफल बनाने की प्रेरणा दी।

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सिख धर्म में इतिहास

श्री आनंदपुर साहिब में गुरु साहिब व चालीस सिखों को मुगलों व हिदू पहाड़ी राजाओं का आठ महीने घेरा पड़ा रहा। भूख से तंग आकर चालीस सिख गुरु साहिब को बेदावा लिखकर घर चले गए। सिख जरनैल माई भाग कौर के समझाने पर सिखों ने अपनी भूल स्वीकार की। श्री मुक्तसर साहिब जाकर दुश्मनों से लड़कर शहीदी प्राप्त की। गुरु साहिब ने शहीदी स्थान को मुक्ति का वर दिया। इससे उस जगह का नाम श्री मुक्तसर साहिब पड़ गया। हिदू धर्म में मान्यता

मकर संक्रांति का हिदू धर्म में बड़ा महत्व माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं, शनि मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं। इसलिए संक्रांति के दिन पिता-पुत्र का मिलन होता है। चौदह जनवरी के बाद सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है। देवताओं के दिन का शुभारंभ होता है। सभी देवता भगवान श्री विष्णु व मां श्रीमहालक्ष्मी का पूजन-अर्चन करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं।


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