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नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के लिए बनेगी वरदान

जागरण संवाददाता संगरूर करीब साढ़े तीन दशक के बाद लागू की जा रही नई शिक्षा नीति का अच्छा परिणाम मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 10:12 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 10:12 PM (IST)
नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के लिए बनेगी वरदान
नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के लिए बनेगी वरदान

जागरण संवाददाता, संगरूर :

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करीब साढ़े तीन दशक के बाद लागू की जा रही नई शिक्षा नीति शिक्षा के जगत में विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा बदलाव लाएगी। नई शिक्षा नीति में जहां बुद्धि कौशल पर फोकस किया जाएगा, वहीं रटने व रटाने की आदत से भी छुटकारा मिल जाएगा। विद्यार्थियों के कौशल बढ़ाने के लिए ध्यान दिया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों की प्रतिभा का निखार होगा व विद्यार्थियों को आज के समय की शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी। शिक्षाविदों ने भी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। समय के साथ ऐसे बदलाव जरूरी हैं, क्योंकि आज के दौरान बुद्धि व कौशल को निखारना जरूरी है।

फोटो फाइल: 6

सीधे तीन करोड़ सीटें बढ़ाना बेहतर

सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. आरएम गुलाटी ने कहा कि समय तेजी से बदल रहा है। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन से भारत में आनलाइन शिक्षा शुरू हुई है। यह शिक्षा के क्षेत्र में एक बेहतर कदम साबित हुआ है। अब शिक्षा नीति में बदलाव आने वाली पीढ़ी को नई दिशा देगी। उच्च शिक्षा में केंद्र सरकार जीईआर 50 फीसद तक बढ़ाने की बात कह रही है, जिससे उच्च शिक्षा में तीन करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएगी। इससे अधिक से अधिक युवाओं को जुड़ने का मौका मिलेगा। फोटो फाइल: 7

मातृ भाषा में पढ़ाई की शुरूआत बेहतर कदम

सेवानिवृत्त हुए लेक्चरर परमवेद ने बताया कि आज के समय में विद्यार्थियों को अंग्रेजी की तरफ अधिक धकेला जा रहा है। जिस कारण बच्चे अपनी मातृ भाषा से ही दूर होते जा रहे हैं। किंतु अब सरकार ने पांचवीं तक मातृ भाषा में पढ़ाने का बेहतर कदम उठाया है, ताकि विद्यार्थी अपनी मातृ व क्षेत्रीय भाषा सीख सकें। यह काफी कारगर साबित होता व विद्यार्थियों को अपनी भाषा में पढ़ने का मौका मिलेगा व अन्य भाषा उन पर हावी नहीं होगी। फोटो फाइल: 8

पढ़ाई छोड़ने पर भी मिलेगा सर्टिफिकेट

पैरागोन पब्लिक स्कूल डेहलों के डायरेक्टर एसपी सोफट ने बताया कि कई बार विद्यार्थियों की पढ़ाई कई कारणों से अधर में ही छुट जाती है। किसी को पारिवारिक समस्या पेश आती है तो किसी का कोई अन्य कारण बन जाता है। जिस कारण विद्यार्थी ने अगर ग्रेजूएशन में दो वर्ष लगाएं है तो वह 12वीं पास ही कहलाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। विद्यार्थी अपना सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकेंगे, जिसके आधार पर वह अपनी पढाई को दोबारा भी आगे बढ़ा सकेगा। इस नीति से विद्यार्थियों को भारी राहत मिलेगी।

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फीस की सीमा तय करना प्रशंसनीय

सेवानिवृत्त लेक्चरर मेवा सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति में फीस जैसे विषय को भी प्रमुखता से रखा गया है, जिसका सभी संस्थान किस कोर्स की कितनी फीस होगी, यह तय किया जाएगा, जिसका विद्यार्थियों को लाभ मिलेगी, क्योंकि गरीब वर्ग के बच्चे फीस अधिक होने के कारण शिक्षा पूरी नहीं कर पाते। संस्थानों की अलग-अलग फीस होने के कारण विद्यार्थियों को कालेज का चयन करने में माथापच्ची करनी पड़ती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। एक समान फीस होने के कारण विद्यार्थी किसी भी संस्थान में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।


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