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आप को संगरूर में मिलेगी कड़ी टक्कर, जीत के लिए करनी होगी जद्दोजहद

संगरूर लोकसभा चुनाव वर्ष 2014 में लोकसभा हलका संगरूर सीट पर मुकाबले बेहद रोमांचक रहा वहीं कांग्रेस व अकाली दल के किले को ढेर करके आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने दो लाख 11 हजार 721 वोट से शानदार जीत हासिल की थी लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी को पंजाब की अन्य सीटों के मुकाबले अपनी संगरूर सीट बचाने के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो आम आदमी पार्टी का पूरा जोर संगरूर सीट को बचाने में लगा हुआ है क्योंकि आम आदमी पार्टी के प्रांतीय प्रधान भगवंत मान के कंधों पर आम आदमी पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी टिकी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 05:07 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:25 AM (IST)
आप को संगरूर में मिलेगी कड़ी टक्कर, जीत के लिए करनी होगी जद्दोजहद
आप को संगरूर में मिलेगी कड़ी टक्कर, जीत के लिए करनी होगी जद्दोजहद

मनदीप कुमार, संगरूर :

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लोकसभा चुनाव वर्ष 2014 में लोकसभा हलका संगरूर सीट पर मुकाबले बेहद रोमांचक रहा, वहीं कांग्रेस व अकाली दल के किले को ढेर करके आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने दो लाख 11 हजार 721 वोट से शानदार जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी को पंजाब की अन्य सीटों के मुकाबले अपनी संगरूर सीट बचाने के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो आम आदमी पार्टी का पूरा जोर संगरूर सीट को बचाने में लगा हुआ है, क्योंकि आम आदमी पार्टी के प्रांतीय प्रधान भगवंत मान के कंधों पर आम आदमी पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी है। वहीं आम आदमी पार्टी के खिलाफ मैदान में मौजूद अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार परमिदर सिंह ढींडसा, कांग्रेस के उम्मीदवार केवल सिंह ढिल्लो, पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस के उम्मीदवार जस्सी जसराज, शिरोमणि अकाली दल (अ) के प्रधान सिमरनजीत सिंह मान के लिए भी कड़ा मुकाबला है।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव 2014 दौरान आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भगवंत मान को 5,33,237 वोट हासिल किए थे, जबकि शिअद के उम्मीदवार सुखदेव सिंह ढींडसा 3,21,516 वोट ही हासिल कर पाए, वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार विजयइंद्र सिगला 1,81,410 मतों पर सिमट गए और उनकी जमानत जब्त हो गई। पिछले बार के मुकाबले इस बार आम आदमी पार्टी के हालात पहले जैसे नहीं हैं। संगरूर हलके की बात करें तो विरोधियों सहित आम आदमी पार्टी से अलग हुए पार्टी के नेता ही भगवंत मान पर तरह-तरह से आरोप मढ़ रहे हैं। कहीं फंडों के दुरुपयोग के छींटे भगवंत मान पर फेंके जा रहे हैं तो कहीं पार्टी के वफादार वर्करों को दरकिनार करके अपने चहेतों को आगे लगाने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि सांसद भगवंत मान इन आरोपों का हमेशा से खंडन करते हुए कहते रहे हैं, लेकिन इन आरोपों का कहीं न कहीं नुकसान पार्टी व भगवंत मान की छवि को झेलना पड़ रहा है। मौजूदा समय में लोकसभा हलका संगरूर अधीन नौ विधानसभा हलकों में से पांच पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है, लेकिन इनमें से एक विधायक पिरमल सिंह खालसा आम आदमी पार्टी से बगावत करके खैहरा ग्रुप के साथ पीडीए की हिमायत कर रहे हैं, जिस कारण आप के हाथ केवल पांच विधायक ही रह गए हैं, जिसमें से जिला संगरूर व बरनाला के दो-दो विधायक ही बाकी हैं।

संगरूर सीट पर नहीं मिली लगातार दो बार जीत

संगरूर लोकसभा चुनावों का इतिहास गवाह है कि इस सीट पर लगातार दो बार किसी उम्मीदवार को जीत हासिल नहीं हुई है।संगरूर हलके के वोटर दोबारा किसी उम्मीदवार को संसद जाने का मौका प्रदान नहीं करते, जिसके चलते इस बार भगवंत मान को यह इतिहास तोड़ने के लिए कड़ा प्रयास करना होगा। वर्ष 1952 से 2014 तक मात्र सुरजीत सिंह बरनाला को 1998 के उपचुनाव में दोबारा जीत का मौका मिला, जबकि किसी अन्य नेता को लगातार दो बार सांसद नहीं चुना गया। ऐसे में भगवंत मान के लिए कड़ी चुनौती है।

अपनी सीट पर भगवंत मान का ध्यान केंद्रीत

आम आदमी पार्टी के प्रधान सांसद भगवंत मान पिछले चार माह से लगातार अपने हलके में डेरा जमाए हुए हैं। पार्टी के प्रधान होने के साथ-साथ स्टार प्रचारक के तौर पर जाने जाते भगवंत मान का पूरा ध्यान अपनी सीट पर केंद्रीत है। इसीलिए वह बाहरी सीटों पर अभी प्रचार को कम ही ही तवज्जो दे रहे हैं और अपने हलके को कवर करने में जुटे हैं। गत दिनों दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीश सिसोदिया ने भी संगरूर में ही शिरकत की व यहां पर पार्टी के सभी उम्मीदवारों व कार्यकर्ताओं से बैठक की। वहीं अगले दिनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल भी संगरूर चुनाव प्रचार में कदम रखेंगे। डोर-टू-डोर प्रचार मुहिम व चिट्ठी का ले रहे सहारा

लोकसभा हलके में डोर-टू-डोर प्रचार मुहिम के लिए वलंटियरों की ड्यूटियां लगा दी गई है, जो घर-घर जाकर वोटरों से सीधा संपर्क करने में जुटे हैं, वहीं भगवंत मान की वोटरों के नाम चिट्ठी भी लोगों तक पहुंच रही है। वोटरों को भगवंत मान का पांच वर्ष का रिपोर्ट कार्ड भी सौंपा जा रहे है। चिट्ठी के माध्यम से जहां भगवंत मान लोगों को पार्टी की नीतियों, अकाली-भाजपा व कांग्रेस की नाकामी, अपने द्वारा शराब पीने की छोड़ी आदत संबंधी जानकारी दे रहे हैं, वहीं अपने रिकार्ड कार्ड के माध्यम से लोगों को अपने फंड में से करवाए गए कार्य की पारदर्शी तरीके से पेश कर रहे हैं।


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